Book Title: Deshi Shabdakosha
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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देशी शब्दकोश
ऊसल (उत्+ लस्)-खुश होना (प्रा ४।२०२) । ऊसाअ-१ विक्षिप्त होना । २ शिथिल होना। ऊसिक्क-प्रदीप्त होना । ऊसुंभ (उत्+लस्)- खुश होना (प्रा ४।२०२) । ऊसुक-परित्याग करना। ऊसुम्म-सिरहाना लगाना। ऊसुरुसुंभ-उल्लसित होना ।
एड-१ उत्सर्ग करना (भ १४:१०६) । २ हटाना, दूर करना । एस—करना-'तम्हा विणयमेसेज्जा, सीलं पडिलभे जओ' (उ १७) ।
ओ ओअंद (आ+छिन् )-१ बलात्कार से छीन लेना । २ नाश करना
(प्रा ४११२५) । ओअक्ख (दश)-देखना (प्रा ४।१८१) । ओअग्ग (वि+आप्)-व्याप्त करना (प्रा ४।१४१)। मोअग्घ-सूंधना। ओअल्ल-१ चलित होना, कांपना । २ प्रतारित होना। ओअव (साधय)-साधना, वश में करना (जंबू ३)। ओंगण (क्वण)- अव्यक्त आवाज करना। ओंघ (निद्रा )-नींद लेना (प्रा ४।१२ टी) । ओंबाल (छादय)-ढकना, आच्छादित करना (प्रा ४।२१)। ओंबाल (प्लावय)- १ डुबाना । २ व्याप्त करना (प्रा ४।४१) । ओग्गाल (रोमन्थाय)-पगुराना (प्रा ४।४३) । ओच्छंद (आ+क्रम)-१ गमन करना (से १०५५) । २ आक्रमण
करना (से १३।१६)। ओजिम्ह (ध्रा)-तृप्त होना। ओड----कंधा देना। ओड-ओढ़ना, आच्छादित करना । ओढ-धारण करना, ओढ़ना-'अन्नया भोइओ पावारयं ओढिऊण अगुरुणा
धूवेइ' भाकोटी पृ ४०६) ।
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