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देशी शब्दकोश
हरिमिग्ग-लाठी, डंडा (दे ८।६३) । हरिमेला-वनस्पति-विशेष (औप ६४) । हरियवण्णी-१ वैसा प्रदेश जहां प्रायः दुभिक्ष होता हो और वहां के लोग
हरित शाक आदि खाकर जीते हों। २ वैसे प्रदेश में राजा किन्हीं घरों में दंड देकर पुरुष की बलि देता है। उस घर पर आर्द्र वृक्ष की शाखा का चिह्न कर दिया जाता है, ताकि
वहां कोई भिक्षा के लिए न जाए (व्यभा ४।४ टी प ७०)। हरियालिया-दूर्वा-'सिद्धत्यग-हरियालियाकयमंगलमुद्धाणा'
(भ ११।१४०)। हरियाहडिया-चोरों द्वारा अपहृत (बृ ११४५) । हरिसय--आभूषण-विशेष (जीव ३।५६३) । हलप्प-बहुभाषी, वाचाल (दे ८६१)। हलफलिअ-१ शीघ्र (दे ८।५६) । २ आकुलता (वृ) । हलवंभ--- हल कर्ष, हल से विदारित भूमी-रेखा-'एक्केक्कं हलबंभं देह'
(उशाटी प ११६) । हलबोल-कोलाहल (कु पृ १९८; दे ८।६४) । हलबोलिय--कोलाहल-'हलबोलिए वट्टमाणे' (कु पृ १३५) । हलमलि-प्रसिद्ध (से १२।८६ टी)। हलहल-१ कोलाहल । २ कुतूहल (दे ८।७४) । ३ युद्ध की उत्कंठा
'हल हलशब्दो युद्धोत्कण्ठायां देशी' (से १२८६) । ४ क्षोभ
विशेष-'शब्दोऽयं देशी' (से १५॥३३) । हलहलय-१ हलचल-हियउग्गयहलहलयं वियरंतं परियणं पुरओ'
(कु पृ २००)। २ त्वरा (पा ८२७) । हलहला--हडबडी, कोलाहल (कु पृ १९८)।। हलहलि-प्रकंपित-'ताव य हलहलीहूओ परियणो, खुहिया णयरी'
(कु पृ १८०)। हला-सखी का सम्बोधन (उसुटी प ६१)। हलाहला-बाम्हणी, जन्तु-विशेष (दे ८।६३) । हलि-स्त्री का संबोधन-'लाडविसए समाणदयमण्णं वा आमंतणं जहा
हलि त्ति' (दअचू पृ १६८) । हलिया-१ छिपकली (दश्रु ८।२६८) । २ बाम्हणी, कीट-विशेष
(दअचू पृ १८८)।
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