________________
४४८
आरोग्गरिअ – रक्त, रंगा हुआ आरोह - १ प्रवृद्ध, बढ़ा हुआ | २ गृहागत, घर में आया हुआ
आलक्क- पागल कुत्ता आलत्थअ- - मयूर आलस-बिच्छू
आलिद्ध - १ आलिङ्गित । २ व्याप्त आलिसिंदय - धान्य- विशेष आलुंखिय-आस्वादित
आलुधिअ-स्पृष्ट— स्पृष्टार्थे देश आलुयार - निरर्थक, व्यर्थ
आलोल - केशबंधन
आवग्ग- -१ आरूढ । २ स्वाधीन
आवग्गी-स्वाधीना
आवरिल्ल - १ आवृत । २ चंचल
भावसण - रतिगृह
आवाह - इक्षुवाटी
आविलिअ - कुपित, क्रुद्ध आवील - शिरोभूषण, माला
आवृत्त - भगिनी पति, बहनोई आवेढिअ-आवेष्टित
आवेवअ - १ विशेष आसक्त ।
२ प्रवृद्ध, बढ़ा हुआ आसंघ - आस्था आसंघिय - आश्रित
आसकलिय- प्राप्त
आसगलिअ - १ प्राप्त । २ आक्रान्त आहट्ट - १ आडंबर । २ उपाधि आहड--सीत्कार
आहर - जाहर — गमनागमन आहविअ - चूर्णित आहित्य - व्याकुल, त्रस्त
Jain Education International
देशी शब्दकोश
आहित्य विहत्थ – आकुल-व्याकुल | आहिद्ध - १ रुद्ध, रुका हुआ । २ गलित, गला हुआ
आहट्ट - साढ़े तीन
आहुट्ठ - अर्धचतुर्थ, साढे तीन
आहुत्त - सम्मुख, सामने
इ
इक्कुसी - नील कमल इच्छा उत्त- १ योगिनी-पुत्र । २ ईश्वर
इदुर - १ गाड़ी के ऊपर लगाने का आच्छादन - विशेष । २ ढकने का पात्र - विशेष
इद्धग्धिम -- हिम इल्लपुलिंद - व्याघ्र इल्लिय - आसिक्त
इव्ह - अभ इसअ - विस्तीर्ण
ईरिण-स्वर्ण ईसोसि -- अल्प
र्ड
उ
उअआर - समूह उअविअ -- उच्छिष्ट
For Private & Personal Use Only
उत्तण-वस्त्र, निवसन
उएट्ट – शिल्प- विशेष उओग्गिअ - संबद्ध, संयुक्त उं--१ निंदा, क्षेप । २ विस्मय ।
३ खेद \४ वितर्क । ५ सूचनइन अर्थों का सूचक अव्यय उंगा हिअ - - उत्क्षिप्त
www.jainelibrary.org