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देशी शब्दकोश ढस-धस्, गिरने से होने वाली । णक्खन्नण-- नख काटने और कांटा आवाज
निकालने का शस्त्र-विशेष ढसर-१ भ्रान्ति । २ भ्रान्त वचन णग्गठ-निर्गत, बाहर निकला हुआ ढालण--नीचे गिराना
णग्गुड-नग्न ढालिअ-नीचे गिराया हुआ णग्गडि--चारण आदिढाव-आग्रह, निर्बन्ध
चारणादिवन्दिवर्ग इत्यर्थे देशी ढिक ---पक्षि-विशेष
णग्गोर--कर्पूर ढिकण - क्षुद्र जन्तु-विशेष, गौ आदि
णढरी- क्षुरिका के लगने वाला कीट-विशेष
णलअ-१ बाड का छिद्र । ढिकलीआ–पात्र-विशेष
२ कर्दमयुक्त ! ३ निमित्त । ढिबायरिय-दांभिक, कपटी
४ प्रयोजन ढिबारिय-कपटी, दांभिक णवरि-शीघ्र, जल्दी ढिडिस-पिष्ट
णसा-नस, नाड़ी ढिल्ल-ढीला, शिथिल
णहरण-१ श्वापद पशु । २ नाखून ढिविय-उपस्थिति
काटने का शस्त्र ढुंग- समूह, ढेर
णाई-समानता का द्योतक अव्यय ढुंढुल्लण--खोज
णाइत्त-जहाज द्वारा व्यापार करने ढक्क–१ उपस्थित । १ मीलित। । वाला सौदागर ३ प्रवृत्त
णाइत्तग-सांयात्रिक, सामुद्रिक ढुक्कलुक्क-चमड़े से मढ़ा हुआ व्यापारी वाद्य-विशेष
णाडय-रस्सी, नाड़ा ढक्काढुक्कि-निकटता से लडना णाणावट-रुपये उधार देने वालों दुलिय-गिरा हुआ
की दुकान (गुज-नाणावट) ढेक्कुण-खटमल
णामण-नाक में डाला जाने वाला ढोर-पशु ढोरि--पशु
णाममंतक्ख-अपराध, गुनाह णायत्त---समुद्र-मार्ग से व्यापार
करने वाला वणिक णं-प्रश्न और उपमासूचक अव्यय णायत्तग-सांयात्रिक, सामुद्रिक जंगअ-रुद्ध, रोका हुआ जंगल-चञ्चु, चोंच
णारियर-नारियल पंडिक्क--व्याध
| णाल-त्रस्त
बिन्दु
व्यापारी
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