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शी शब्दकोश
वालग-१ पात्र-विशेष (आचला १११०४) । २ शकुनी-गृह
(आचू पृ ३४०)। वालगपोतिया-जलमंदिर (सूर्यटी प ७०)। वालग्गपोइया-१ वलभी, अट्टालिका । २ तालाब के मध्य में स्थित छोटा
प्रासाद—'वालग्गपोइयातो य त्ति देशीपदं वलभीवाचकं, अन्ये त्वाकाशतडागमध्यस्थितं क्षुल्लकप्रासादमेव वालग्ग
पोइया य ति देशीपदाभिधेयमाहुः' (उशाटी प ३१२) । वालग्गपोतिका-तालाब के मध्य क्रीड़ा करने का लघु प्रासाद-'वालाग्र
पोतिकाशब्दो देशीशब्दत्वादाकाशतडागमध्ये व्यवस्थितं
क्रीडास्थानं लघुप्रासादमाह' (सूर्यटी प ७०)। वालग्गपोत्तिया-१ वलभी-'वालग्गपोत्तियाओत्ति देशीयपदं वलभीवाचकम्'
(उसुटी प १४८) । २ जलमंदिर । वालप्प-पुच्छ, पूंछ (दे ७.५७) । वालवास-मस्तक का आभूषण (दे ७ ५९) । वालिआफोस-कनक, सोना (दे ७।६०) । वालिजक-१ व्यापार के लिए एक गांव से दूसरे गांव जाने वाले
(ओटी पृ १९६) । २ कपड़े का व्यापारी (बृटी पृ ११५८) । वालिका–कान की बाली, आभूषण-विशेष-वालिका कण्णवल्लीका
___ कण्णिका कुंडमालिका' (अंवि पृ ७१) । वालिखरग-जलीय वनस्पति-विशेष (आचू पृ ३४१) । वालिया-वाद्य-विशेष (नि १७११३८) । वाली-वाद्य-विशेष, मह के पवन से बजाया जाने वाला तण-वाद्य
(राज ७७; दे ७।५३) । वालीण-मत्स्य-विशेष-'वालीणा सुसुमारा कच्छपमगरा' (अंवि पृ २२८)। वाल-दूध- एगट्ठ णाणवंजण दुद्ध पयो वालु खीरं च' (जीभा ११३२) ।
हालु (कन्नड) । पाल (तमिल)। वालुंक-पक्वान्न-विशेष-'खीर - दधि-सूव-कट्टरलंभे गुड-सप्पि-वडग-वालुंके'
(पिनि ६३७)।। वालुंजुक--व्यापार के लिए एक गांव से दूसरे गांव जाने वाले
(ओटी पृ १९६) । वालुंडय-रोमकूप (तंदु ११६) । वालेपतुंद-कर्माजीवी (अंवि पृ १६१) ।
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