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देशी शब्दकोश घोरच्छ-तरुण, युवा (दे ७।८०)। वोरल्ली-१ श्रावण शुक्ला चतुर्दशी को होने वाला उत्सव-विशेष
(दे ७८१) । २ श्रावण शुक्ला चतुर्दशी (व) । वोरुट्टी-रूई से भरा हुआ वस्त्र-विशेष (प्रसा ६८०)। वोल-१ कोलाहल (दे ६।६० वृ) । २ एक प्रकार का पौधा । वोलिय-१ गत, गया हुआ (उसुटी प १४२) । २ अतिक्रांत, उल्लंधित
(से ४।४८)। ३ अपगत (से १।३)। बोलीण-१ अतीत, व्यतीत-'वोलीणा चक्कवट्टिणो बारसवि, विणस्सिहिसि
तुम' (दहाटी प ५१) । २ अतिक्रांत (प्रा ४।२५८) ।
३ व्यतिक्रांत (पा १४१) । वोल्लाह-उत्तम जाति का अश्व (कु पृ २३)। पोवाल-वृषभ, बैल (दे ७७६) । वोव्वड-मूक, भाषा-जड (व्यभा १० टी प १०६) । वोसट्ट-१ भरकर खाली किया हुआ (दे ७८१) २ विकसित
(प्रा ४।२५८)। वोस?-ऊपर तक भरा हुआ (बृभा ४०४८) । वोसेअ-उन्मुख-गत, उफना हुआ (दे ७८१)। वोहत्तिय--गृहीत-'एक्केण परिग्गहिता सव्वे वोहत्तिया होन्ति'
(जीभा २०५२)। बोहार-जल-वहन, पानी ले जाना (दे ७:८१)।
स-अथ (व्य ३।४)। सअअ-१ शिला । २ घूर्णित (दे ८।४६) । सअढ----लम्बा केश (दे ८।११ पा)। सइज्म-पड़ोसी (दे ८।१०)। सइज्मक-प्रातिवेश्मिक, पड़ोसी-'सइज्झका नाम सहवासिनः प्रातिवेश्मिका
__इत्यर्थः' (बूटी पृ ६४०)। सइज्यि -१ पड़ोसी (निचू १ पृ ८) । २ पड़ोसीपन, प्रातिवेश्य
(दे ८।१० वृ)।
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