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देशी शब्दकोश वेहारुग-विहरणशील मुनि जिसका शरीर, वस्त्र आदि मैला हो और जो
एक पात्र रखता हो (निचू ३ पृ ४४०)। वोंड-चूचुक, स्तनवृन्त (ज्ञा १।१७।१४)। वोकिल्ल-गृह-शूर, वीरत्व का बहाना करने वाला मिथ्याबीर (दे ७८०)। वोकिल्लिअ-रोमन्थ, चबाई हुई चीज को पुनः चबाना
"उप्पाइउमसमत्था जे चविअचव्वणं कुणन्ति कई। . वोभीसणा फुडं ते वोकिल्लिअकारिणो पसुणो ॥'
(दे ७.८२ वृ)। वोविकतक्क-खाद्य पदार्थ-विशेष-पोवलिकं वा वोक्कितक्कं वा पोवलके वा
पप्पडे वा' (अवि पृ १८२)। वोच्चत्थ-विपरीत-मैथुन (दे ७:५८) । वोज्झ-बोझ, भार (आवचू १ पृ २५५; दे ७.८०) । वोज्झमल्ल-भार, बोझ (दे ७८०) । वोज्झर-१ अतीत । २ भीत, त्रस्त (दे ७१६६) । वोद्रित-अपवित्र किया हुआ (व्यभा ७ टी प ८५) । वोडाण-वनस्पति-विशेष (प्रज्ञा ११४४) । वोडिय---मुंडित-मस्तक (उशाटी प १८१) । वोडू-मूर्ख (व्यभा ६ टी प ५)। वोण्ण-कर्म-कम्म ति वा खुह ति वा वोण्णं ति वा कलु ति वावज्ज ति
वा वेरं ति वा पंको त्ति वा मलो त्ति वा एते एगट्टिता'
(निचू ४ पृ २७४)। वोण्णमंत-लकड़हारा (सू २।२।३१) । वोद्द-तरुण (निचू ३ पृ २६७) । वोद्दह-तरुण-'वोद्दहजणस्स उस्सुयकर' (ज्ञा १।१६।१६३) । वोद्रह-तरुण, युवा (दे ७८०)। वोद्रही-तरुणी (प्रा १८०) । वोभीसण-वराक, दीन, गरीब (दे ७८२) । वोमज्झ - अनुचित वेष (दे ७।८०) । वोमज्झिअ-अनुचित वेष का ग्रहण (दे ७८० वृ)। वोमीका-परिसर्प की एक जाति (अंवि पृ ६६) । वोयाण-वनस्पति-विशेष (भ २१।२०) ।
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