________________
देशी शब्दकोश
२८५
पासल्ल-१ द्वार । २ तिर्यक्, वक्र (दे ६।७६) । ३ पार्श्व, समीप
(से ६।३८)। पासल्लइय-टेढा किया हुआ (से ६७७)। पासाणिअ--साक्षी (दे ६।४१)। पासाला--भल्ली, छोटा भाला (दे ६।१४) । पासावअ-गवाक्ष, झरोखा (दे ६।४३) । पासिय-सुपारी (भ २२।२) । पासी-जूड़ा, चोटी (दे ६।३७)। पासुलिया-पार्श्व की हड्डी (अनु ३।५२) । पासुलीय--पार्श्व की हड्डियों वाला (तंदु १४७) । पासोअल्ल-टेढा, तिर्यक् (से ६।४७) । पाडितिया-गर्भवती स्त्री-पुणो पाहडितियासंजतीवेसेण पुरतो ठितो'
(दअचू पृ ५०) । पाहुड-कलह-'पाहुडं कलहमित्यर्थः' (निचू ३ पृ ३८) । पाडिया-१ सार्वजनिक स्थान जहां बलि आदि के पदार्थ बिखेरे जाते हैं।
(बृभा ५५४) । २ पापकारी प्रवृत्ति (बृभा १५३१) । ३ मकान
की मरम्मत (बृभा १६७४)। ४ भिक्षा। ४ अर्बनिका
_ 'प्राभृतिका भिक्षाऽपि भण्यते अर्चनिकाऽपि' (बृभा ५५८ टी )। पाहण-बेचने योग्य, विक्रेय (दे ६१४०) । पाहुणय-संघ-स्थविर, कुल-स्थविर, गण-स्थविर–तीनों की संयुक्त संज्ञा
(बृभा ३७२६)। पाहुणिय--ग्रहाधिष्ठाता देव-विशेष (निचू ३ पृ २२४ पा) । पाहुणी--स्त्री-अतिथि (कु पृ ६६) । पाहुय--त्रीन्द्रिय जन्तु-विशेष (प्रज्ञा ११५०) । पाहेज्ज-पाथेय (दे ६।२४)। पाहेण-उत्सव पर किया जाने वाला भोज-विशेष (जीभा १२३४) । पाहेणग-जीमनवार में बनाई जाने वाली मिठाई, मोदक आदि - (पिनि २८८)। पिअण-दुग्ध, दूध (दे ६।४८) । पिअमा-प्रियंगु-वृक्ष (दे ६।४६) । पिअमाहवी-कोयल, कोकिला (दे ६।५१) ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org