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देशी शब्दकोश पेलुकरण-पूनी कातने का उपकरण-विशेष जिसे महाराष्ट्र में पेलु कहते हैं
'पेलुकरणादि लाटविषये रूतप्राणिका, महाराष्ट्र विषये सैव
पेलुरित्युच्यते (सूचू १ पृ ५ टि)। पेल्लग-बालक, बच्चा (उचू पृ ८८)। पेल्लण-१ क्षेपण । २ पीडन (उसुटी प ३४) । ३ आक्रमण-पेल्लणं ।
अक्कमणं' (निचू ४ पृ १४०) । पेल्लय-बच्चा, शिशु (विपा श२।६८) । पेल्लिका-गृह-उपकरण-विशेष (अंवि पृ ७२) । पेल्लित-१ लूट लिया-जणे गते गोद्रील्लएहिं घरं पेल्लितं'
(आवहाटी २ पृ २२१) । २ आक्रान्त-'अवि अंबखुज्ज पादेण
पेल्लितो अंतरंगुलगा वा' (निभा ६२८) । पेल्लिय-१ शिशु (जीभा ५३६) । २ पीड़ित (जीभा १३७; दे ६।५७) ।
३ क्षिप्त, पातित (व्यभा ४.२ टी प २०)। पेस-१ कार्य, प्रयोजन (दश्रु ६ गा २८)। २ सिन्धु देश के सूक्ष्म चर्म वाले
पशुओं की चमड़ी से निष्पन्न वस्त्र (आचूला ५॥१५)-'पेसाणि त्ति
सिन्धुविषय एव सूक्ष्मचर्माणः पशवः तच्चर्मनिष्पन्नानि' (टी प ३६३)। पेसण-कार्य (ज्ञा ११७।२६; दे ६१५७)। पेसणआरी-दूती, दूतकर्म करने वाली (दे ६।५९) । पेसणकारिया-बाहरी कार्यो को निपटाने के लिए नियुक्त स्त्री-'बाह्यानि
प्रेषणानि कर्माणि करोति या सा' (ज्ञाटी प १२६)। पेसलेस-सिन्धु देश के पेश नामक पशु-चर्म के सूक्ष्म पक्ष्म से निष्पन्न वस्त्र .
(आचूला ५।१५)। पेसी–फल का चतुर्थांश (आचू पृ ३६७) । पेहण-१ मोर-पंख-'पेहुणं मोरपिच्छगं वा' । २ अन्य किसी भी पक्षी का मोर
जैसा पंख-'अण्णं किंचि वा तारिसं पिच्छं' (दजिच पृ १५६) । ३ मयूर-पिच्छ से निष्पन्न-'पेहुणं मोरगं' (दअचू पृ ८९)। ४ पिच्छ, पंख-'पिच्छम्मि पेहुणं' (दे ६।५८) । ५ एक प्रकार की वनस्पति ।
(बृभा ४६३८)। पेहमिजा-मध्यवर्ती अवयव-पेहुणमिजाति वा भिसेति वा मिणालियाति
वा' (जीव ३३२८२) । पोअ-१ धव का वृक्ष । २ छोटा सांप (दे ६।८१) । पोअइआ-निद्राकरी लता (दे ६।६३) ।
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