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देशी शब्दकोश
बोहहर-स्तुति-पाठक, मागध (दे ६।६७) । बोहारी-बुहारी, झाडू (दे ६।६७) । बोहिग-म्लेच्छ-विशेष (बृभा १९६८) । बोहित्थ-नौका (प्रटी ३९; दे ६।६६)। बोहिय-म्लेच्छ-विशेष (बृभा १९७०) ।
भंगिय-तृण-विशेष-भंगिय त्ति तृणभेदविशेषः' (भटी पृ १४७६) । भंजुलिका-वनस्पति-विशेष (अंवि पृ ७०)। भंड-१ मण्डन, आभूषण (भ ६।१५०; दे ६।१०६) १२ क्षुर, उस्तरा ।
३ मुण्डन (बृभा ५१७७)। ४ मिट्टी। ५ रूई-'राइणा भंडहत्थी काराविओ' (दहाटी प ६६)। ६ बैंगन (दे ६११००)। ७ स्तुति पाठक । ८ मित्र । ६ दोहित्र, पुत्री का पुत्र । १० छिन्नमूर्धा, सिरकटा
(दे ६।१०६)। भंडक्किय--भांड की कुचेष्टा-'भाण्डानां विटानां कक्षावादनादिका क्रिया'
(प्रसाटी प १०५)। भंडखाइय-एक प्रकार का रसायन जो लोहे को भी गला देता है
(आवचू २ २४) । भंडग—आभूषण, मंडन (औप ५६) । भंडण-१ वाक्कलह, गाली-गलौज (भ १२॥१०३; दे ६१०१)।
२ क्रोध (सम ५२।१)। भंडमल्ल-मूल पूंजी-'खीणम्मि भंडमुल्ले किं करिही अन्नजम्मम्मि'
(सा ११३)। भंडमोल्ल-मूल पूंजी-'तत्थ वि य णस्थि किंचि वि जेण भवे भंडमोल्लं ति'
(कु पृ १६१) । भंडिय-१ गुप्तचर । २ चोर-'णूणं एते चारिया भंडिया, चोरा वा वेस
___ परिच्छण्णा' (निचू १ पृ ५३)। भंडियालिछ-विशेष प्रकार का चूल्हा (जीव ३३११८)। भंडिवडेंसय-मथुरा नगरी का एक उद्यान जिसमें विशिष्ट वृक्षों की बहुलता
थी (ज्ञा २।८।५)।
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