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देशी शब्दकोश
लामंजय-पानी को शीतल एवं सुगंधित करने वाला घास-विशेष
(पा ३८५) । लामा-डाकिनी (दे ७।२१)। लाय-१ आग-'दिण्णाओ लायंजलीओ। समप्पिया य तस्स करंजली कुवलय
मालाए' (कु पृ १७१)। २ भूना हुआ धान-'लाया नाम वीहिया
भुज्जिया' (जीविप पृ ३४)। लायतर-भूने हुए आर्द्र व्रीहि का तंडुल के साथ बनाया जाने वाला पेय
(निभा ४८७)। लायतरण-चावल से बना पेय-पदार्थ-'कते वा विकिट्टतवे पारणए
लायतरणादी पिएज्ज' (निचू १ पृ १६२) । लालंपिअ-१ प्रवाल । २ घोड़े की लगाम । ३ आक्रन्दित (दे ७।२७) । लालस-१ मृदु (दे ७।२१) । २ इच्छा (वृ)। लाला-१ दीपक की बाती (बृभा ३४६५) । २ लार-'अहिस्स मूस गस्स
वा उस्सिघमाणस्स लाला पडेज्ज' (निचू ४ पृ १३३) । लाली-दीपक की बाती (निभा ५३७७) । लावंज-सुगंधित तृण-विशेष, उशीर (दे ७।२१)। लावणी-गुड़-निष्पन्न खाद्य पदार्थ-विशेष-'गुलकत तह लावणी य बोद्धव्वा
(पंक ७३२)। लासयविहअ-मयूर (दे ७।२१)। लासिया-देश-विशेष की दासी (ज्ञा १११।८२) । लाहण-भोज्य का एक प्रकार (दे ७।२१)। लाहणय-प्रहेणक, उत्सव के उपलक्ष में किसी दूसरे घर से भेंटस्वरूप
प्राप्त भोजन-विशेष (पिटी प ६३; दे ७।२१ वृ)। लिक-बालक (दे ७।२२)। लिकि.---१ आक्षिप्त । २ लीन (दे ७।२८) । लिंगिच्छी- वृक्ष-विशेष (अंवि पृ ७०) । लिछ-१ चूल्हा (स्था ८।१०) । २ अग्नि-विशेष (स्थाटी प ४१६)। लिड--१ हाथी की विष्ठा (ज्ञा १११।१५६) । २ शैवालरहित पुराना
पानी-'अशैवालपुराणजलम्' (प्रटी प १६३) । लिडा-ऊंट, बकरी आदि की विष्ठा, मेंगनी-'उब्भामिगा य महिला
जावगहेउंमि उंटलिंडाई' (दनि ८८) । लिडिया-विष्ठा, लिंडी, मेंगनी (नंदीटि पृ १३४) ।
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