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देशी शब्दकोश
फोअ-भयोत्पादक ध्वनि, डराने की आवाज (दे ६।८६ वृ) । फोइअय-१ मुक्त । २ विस्तारित (दे ६१८७)। फोंफा-भयोल्पादक ध्वनि, डराने की आवाज (दे ६।८६)-'तरुणि दळूण
करइ तह फोंफ' (वृ)। फोक्क-उभरा हुआ मोटा नाक-'फोक्क' देशीपदं, अग्र स्थूलोन्नता च
नासाऽस्येति फोक्कनासः' (उसुटी प १७६) । फोड-भक्षक-'बहुफोडे त्ति बहुभक्षका:' (ओभा १६१ टी)। फोडिअय-१ राई से बघारा हुआ शाक आदि । २ रात्रि के समय जंगल में
सिंह आदि हिंसक प्राणियों से बचने का एक उपाय (दे ६८८)। फोडित-राई आदि से बधारा हुआ-'उवरि धूमणेण धोवितं फोडितं
__'भण्णति' (निचू २ पृ ६५)। फोप्फल-गंध द्रव्य-विशेष, एक प्रकार की औषधि जो मृदु रेचन के लिए
काम आती है-'महुरविरेअणमेसो कायव्वो फोप्फलाइदव्वेहि'
(भत्त ४२)। फोफल-एक प्रकार की औषधि (प्रसाटी प ७५) । फोफस--शरीर का अवयव-विशेष (तंदु ११६) । फोस-१ अपानदेश, गुदा-'सउणिप्फोस-पिट्ठतरोरुपरिणया' (तंदु ६७) ।
२ उद्गम (दे ६१८६)।
बट्ट-बैठा हुआ (आव २ पृ ३५) । बइल्ल-बैल (दश्रुनि ६१; दे ६१६१) । बउसी–देश-विशेष की दासी (ज्ञा १।१८२) । बउहारी-बुहारी, झाडू (दे ६९७ वृ)। बंदण-कैदी, बंदी-'जावज्जीवबंदणो कीरिस्सामि' (नंदीटि पृ १३६) । बंध-भृत्य, नौकर (दे ६।८८) ।। बंधोल्ल-मेल, संगति (दे ६।८६) । बंभच्च-गोत्र-विशेष (अंवि पृ १५०)। बंभणिआ-कीट-विशेष (दअचू पृ १८६; दे ६६०)।
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