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देशी शब्दकोश
भोज्य पदार्थ वर के घर से वधू के घर में ले जाया जाता है वह । ४ अन्य घरों से वर-वधू के घर में ले जाई जाने वाली भोजन-सामग्री (निचू ३ पृ २२३)। ५ खाद्य वस्तु का उपहार-'पहेणंति वा उक्खित्तभत्तंति वा एगट्ठा' (आचू पृ ७७)। ६ उपानत्, जूता
(व्यभा १० टी प ७३) । ७ उपहार । ८ उत्सव (अंवि पृ २६८) । पहेणग-वस्तु की भेंट, विवाह अथवा उत्सव के उपलक्ष में किसी दूसरे घर
से भेंट स्वरूप प्राप्त भोजन-विशेष (पिनि ३३५)। पहेणय-१ खाद्य वस्तु का उपहार (ओनि १०३; दे ६७३) । २ उत्सव
(दे ६१७३)। पहेरक-आभूषण-विशेष (प्र १०।१४) । पहोइअ-१ पर्याप्त (दे ६।२६) । २ प्रभुत्व (वृ)। पहोलिर-इधर-उधर फेंकने वाला (से ११।१२) । पाअ-रथ का पहिआ, रथचक्र (दे ६।३७)। पाइअ--मुंह फाड़ना, मुंह बाना (दे ६।३६) । पाइणग-चाबुक-'तुत्तयघातैश्च विषमवाहोऽथ पीड्यते, तुत्तगो-पाइणगों
(आवहाटी २ पृ २०५) । पाइल्लग-१ चटाई बनाने का लोहमय ओजार (उशाटी प १६५) ।
२ छेदन करने का साधन, चाकू आदि (निचू २ पृ ५)। पाउ-१ भोजन । २ ईक्षु (दे ६७५) । पाउअ—१ हिम (दे ६।३८) । २ भोजन । ३ ईक्षु (दे ६७५ )। पाउक्क-मार्गीकृत, प्रकटित (दे ६।४१) । पाउक्खालय-१ पाखाना, मलोत्सर्ग-स्थान-पाउक्खालयगेहे दुग्गंधेऽणेगसो
वसिओ' (भत्त ११२) । २ मलोत्सर्ग-क्रिया। पाउग्ग-सभ्य, सभासद (दे ६।४१)। पाउग्गिअ-१ जुआ खेलाने वाला (दे६।४२) । २ सहन करने वाला
पाउग्गिओऽपि सोढः' (वृ)। पाउरणी-- कवच, बख्तर (दे ६।४३) । पाउल्ल-१ काष्ठ-पादुका (सूचू १ पृ ११८) । २ मूंज से निर्मित पादुका
(सूटी १ प ११८)। पाउल्लग-१ काष्ठपादुका-'पाउल्लगाई ति कट्ठपाउगाओ'
(सूचू १ पृ ११८) । २ मूंज की बनी पादुका (सूटी १ प ११८) ।
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