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देशी शब्दकोश
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थुरग-तृण-विशेष (भ २०१६)। थुरय-तृण-विशेष (प्रज्ञा १४२।२) । थुरुणुल्लणय-शय्या (दे ५।२८)। थुलम-पटकुटी, तंबू (दे ५।२८)। थुल्ल-परिवर्तित (दे ५।२७) । थण-घोड़ा (दे ५।२६)। थणा-शरीर का एक अवयव (अंवि पृ ६६)। थणिका-धान्य-विशेष (अंवि पृ २२०)। थर-१ बिना किनारी वाला । २ अगहित (निचू २ पृ ९७) । ३ थोड़ा - (निभा १६१४)। थरक-शरीर का अवयव-विशेष (अंवि पृ६६)। थूरी तन्तुवाय का एक उपकरण (दे ५।२८) । थलघोण-सूकर, वराह (दे ५।२६)। यह-१ प्रासाद का शिखर । २ चातक पक्षी । ३ वल्मीक (दे ५।३२)। थेक्कार----ध्वनि-विशेष (आवमटी प १८८) । थेग-कंद-विशेष (प्रसा २३८)। थेच्चण-उपमर्दन (बृटी पृ ४५३)। थेणिल्लिअ-१ छीना हुआ। २ डरा हुआ (दे ५।३२)। थेर-विधाता, ब्रह्मा (दे ५।२६) । थेरासण-कमल (दे ५।२६)। थेव—बिन्दु (दे ५।२६) । थेवरिअ-जन्म के समय बजने वाला वाद्य (दे ५।२९) । थेग्विद्ध-स्तब्ध (अंवि पृ १४८) थोअ-१ धोबी । २ मूला, कंद-विशेष (दे ॥३२)। थोर--१ स्थूल (ज्ञा १।१।१५६) । २ क्रमशः लम्बा और गोल-गोवच्छगं
थोरगत्तं सेयं पिच्छइ' (उसुटी प १३५; दे ॥३०) । ३ गांव में घूमघूम कर किया जाने वाला व्यापार-'लग्गा थोरेसु कह वि दुक्खत्ता' (कु पृ १६१)। ४ गोणी-'मणथोरं भरिऊणं आगमभंडस्स गुरुसया
साओ' (कु पृ १९३) ।। थोरहणिया-देश-विशेष की दासी (ज्ञाटी प ४६) । थोल-वस्त्र का एक देश (दे ५।३०)।
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