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देशी शब्दकोश
परिण---पण्य, बेचने योग्य वस्तु (अंवि पृ २५३) । परित्थड---विधि, वृत्तान्त-'दिट्ठो य रण्णो अंबगहणपरित्थडो'(निचू १ पृ.)। परिपदणय-अभिनय-'सा अप्पणो परिपदणयं करेति' (आवचू १ पृ ५२५) । परिपरि-वाद्य-विशेष (नि १७।१३६) । परिपरिया--वाद्य-विशेष (राज ७१ पा) । परिपिरिया-वाद्य-विशेष (भ ५।६४ पा) । परिपूणक-१ सुघरी नामक पक्षी का घोसला। २ घी छानने का साधन
सुघरी पक्षी के घोसले से घी छाना जाता है। घी का कचरा भीतर रह जाता है और घी छनकर बाहर आ जाता है'परिपूणको नाम सुघरीचिटिकाविरचितो नीडविशेषः, तेन च घृतं गाल्यते ततस्तत्र कचवरमवतिष्ठते घतं तु गलित्वा अधः
पतति' (नंदीटि पृ १०५)। परिपूणग- छानने का एक साधन जिससे घेवर का घोल' छाना जाता है।
सार-सार नीचे झर जाता है और कल्मष अन्दर रह जाता है'परिपूणको नाम येन घृतपूर्णयोग्यं पानं गाल्यते, तत्र सारो
गलति कल्मषं तिष्ठति' (बृटी पृ १०४) । परिभंत-१ निषिद्ध । २ भीरु (दे ६।७२)। परिब्भुसित-बुभुक्षित -'अहवा वि परिब्भुसितस्स मणुण्णं होति पंतं पि'
(निचू २ पृ १२७) । परिमास-नौका का काष्ठ-विशेष (ज्ञाटी प १६६)। परियच्छ-दलाल (स्थाटी प ३६) । परियल्ल-परत (निभा ५८०१)। परियाण-परिपूर्ण-'देंति फलं विज्जाओ, परिसाणं भागधेज्जपरियाणं ।
न हु भागधेज्जपरिवज्जियस्स विज्जा फलं देति ॥' (चं १८) । परिरय-१ पर्याय, समानार्थक शब्द-एगपरिरयं ति वा एगपडिरयं ति वा
एगपज्जायं ति वा एगणाम भेदं ति वा एगट्ठा' (आवचू १ पृ २६) । परिलिअ-लीन, आसक्त (दे ६.२४) । परिली-१ मुंह की हवा से बजाया जाने वाला एक प्रकार का बाजा
'फूमिजताणं वंसाणं तेलूणं वालाणं परिलीणं बद्धगाणं'
(राज ७७) । २ गुच्छ वनस्पति की एक जाति (प्रज्ञा ११३७१५) । परिल्ल-अपर (से ६।१७) । परिल्लवास–अज्ञात गति वाला (दे ६।३३) :
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