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देशी शब्दकोश
धअ-पुरुष (दे ५३५७)। धंग-भ्रमर (दे ५१५७) । धंत-अत्यधिक-धंतं पि दुद्धकंखी न लभइ दुद्धं अधेणूतो' (बृभा १९४४)
देशीवचनत्वाद् अतिशयेन' (टी पृ ५६६) । धंधा-लज्जा (दे ॥५७)। धंसाडिअ-नष्ट, व्यपगत (दे श५६) । धकंटि-वृक्ष की एक जाति (अवि पृ ७०)। धडहड-वेग से-'धडहड जीविउ जाइ चित्त परलोयह दिज्जउ'
(उसुटी' प ११३)। धणिअ-१ अत्यधिक, अतिशय (भ ६।२०८ ; दे ५॥५८) । २ स्वामी, पति । धणिआ-१ भार्या, पत्नी (दे ५१५८) । २ स्तुति-पात्र स्त्री, धन्या । धणित--अत्यन्त (आवचू २ पृ २८४) । धणिता-तरुण स्त्री, प्रिया, गृहस्वामिनी (अंवि पृ६८)। धणिया-गाढ-'अणुप्पेहाए णं आउयवज्जाओ सत्तकम्मपगडीओ धणियबंधण
बद्धाओ सि ढिलबंधणबद्धाओ पकरेइ' (उ २६।२३) । धणी-१ पत्नी। २ पर्याप्ति, पर्याप्त । ३ जो बंधा हुआ होने पर भी अभय
हो (दे श६२)। धणहल्लक-छोटे धनुष का खिलौना (सूचू १ पृ ११८) । धण्णक-पशु-विशेष (अंवि पृ ६२)। धण्णपइरण-धान्य का मर्दन-'जोवणं ति धान्यप्रकरः......."लाटविषये
जोवणं धण्णपइरणं भण्णइ' (ओटी प ७५) । धण्णाउस-१ धन्य आयुष्मन् ! इस प्रकार कहा जाने वाला आशीर्वाद
(दे ५।५८) । २ आशीर्वाद (वृ)। धण्णारिया-भ्रमरी (निचू २ पृ १९७) । धत्त-१ निहित, स्थापित (आवहाटी १ पृ ३१८) । २ वनस्पति -विशेष । धनक-घर के बाहर का कमरा (ओटी प ५७) । धममित-जाज्वल्यमान-'रोसेण धमधर्मितो' (प्रसा १६५) । धम्मअ-१ चार अंगुल का हस्त-व्रण । २ चण्डी देवी की नरबलि (दे ५।६३)।
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