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देशी शब्दकोश
पत्थिआ–१ काष्ठ की बड़ी पट्टिका (ओनि ४७८) । २ बांस का बना बड़ा
भाजन (टी पृ ३७४) । पत्थिय-१ पुष्प-करंडक-पुप्फचयं करेइ, पत्थियं भरेइ' (अंत ६।२१) ।
२ शीघ्र (दे ६।१०)। पत्थियपिडग-बांस का बना हुआ भाजन-विशेष (विपा ११३।२०) । पत्थीण-१ मोटा कपड़ा (दे ६।११) । २ स्थूल (व)। पथरा--शस्त्र-विशेष (कु पृ २७४) । पदकणु-आभरण-विशेष-'पदकणु इत्ययं शब्दो देशभाषायाः प्रतीयते'
(राजटी पृ ४८)। पद्म-जल में रहने वाला प्राणी-विशेष (अंवि पृ २२७) । पदोलि-यान-विशेष-संदण-रध-वलभी-पदोलि-पवहण ....' (अंवि पृ २००) । पह-१ ग्राम-स्थान (दे ६३१) । २ छोटा गांव (पा ३६६) । पहिया-अभिनव प्रसूता महिषी (व्यभा ४१३ टी प १०)। पद्धर-१ ऋजु, सरल (दे ६।१०) । २ शीघ्र । पद्धार-जिसकी पूंछ कटी हुई हो वह (दे ६।१३) । पधकली-वनस्पति-विशेष (अंवि पृ २३२) । पनक-सूक्ष्म पंक (प्रटी प ६५)। पन्नग-दुर्गन्धित-'कटुयं तेल्लं तु पन्नगतिलाणं' (व्यभा ३ टी प १०६) । पन्नाडिअय--मसला हुआ (पा ५०२) । पप्पड–पर्पट, पापड़ (प्रसा ४३४)। पप्पडग-गीली मिट्टी के सूख जाने पर उसके ऊपर की तह (निचू १ पृ ६१)। पप्पडिग-खाद्य वस्तु-विशेष (जीभा १५३७) । पप्पडी-गीली मिट्टी के सुख जाने पर उसके ऊपर की तह (निचू १ पृ ६१)। पप्पीअ-चातक-पक्षी (दे ६।१२)। पप्फाड-अग्नि का एक प्रकार (दे ६।६) । पप्फिडिअ-प्रतिफलित (दे ६।२२)। पप्फुअ-१ दीर्घ, लंबा । २ उड्डीयमान, उड़ता हुआ (दे ६।६४)। पप्फोडिअ-१ झाड़ा हुआ, निओटित (दे ६।२७) । २ तोड़ा हुआ। पन्भार-१ ईषत् कुब्ज (प्रज्ञाटी प ७३) । २ संघात, समूह (दे ६।६६) ।
३ गिरि-गुहा, पर्वत-कन्दरा-'पब्भारकंदरगया साहिती अप्पणो अट्ठ' (महा ८१; दे ६।६६) । ४ आधा (से ॥१८) । ५ अंश (से ४।६) । ६ उपरि भाग (से ४।२०)।
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