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देशी शब्दकोश
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पत्तउर-गुच्छ वनस्पति-विशेष (प्रज्ञा १३६।३) । पत्तंबेल्लि-खाद्य-विशेष (वि पृ ७१) । पत्त-१ कुशल, बहु-शिक्षित (भ १४१३; दे ६।६८) । २ सुन्दर
(दे ६६६८)। पत्तण-१ बाण का अग्रभाग । २ पुंख, बाण का मूल भाग (दे ६।६४)। पत्तणा-१ पुंख में की जाने वाली रचना-विशेष (से ७.५२) । २ इषु
फलक । ३ बाण का मूल भाग, पुंख (से १५।७३) । पत्तपसाइआ–पत्तियों की एक तरह की पगड़ी जिसे भील लोग पहनते हैं
(दे ६२)। पत्तपिसालस-पत्तियों की एक तरह की पगड़ी जिसे भील लोग पहनते हैं
पत्तरक-आभूषण-विशेष (प्रटी प १४६)। पत्तल-१ तीक्ष्ण, तेज (औप ४७; दे ६.१४) । २ कृश (वृ) । पत्तला-राजपत्र, अधिकार-पत्र-'समप्पिज्जंति सेवयाणं महापडिहारेहि
___ गाम-णयर-खेडकब्बड-पट्टणाणं पत्तलाओ त्ति' (कु पृ १८) । पत्तवासित-बंधा हुआ (निच ४ पृ २२१)। पत्तादार-त्रीन्द्रिय जन्तु-विशेष (प्रज्ञा १।५०)। पत्तिसमिद्ध-तीक्ष्ण (दे ६।१४) । पत्ती-पत्तों की बनी हुई एक तरह की पगड़ी जिसे भील लोग पहनते हैं
पत्तुण्ण-वल्कल से बना हुआ वस्त्र (आचूला ५।१४)। पत्तुल्लक-भाजन-विशेष-'सा तीए रुट्टाए पत्तुल्लकाणि धोवेंतीए मसिलित्तण
हत्थेण' (दअचू पृ ४७) । पत्थर–पाद-प्रहार-एस परक्कपडीरो पत्थरकुसलेण पड्डुअं दिन्तो'
(दे ६।८ वृ)। पत्थरभल्लिअ--कोलाहल करना (दे ६।३६) । पत्थरा-चरण-घात, पाद-प्रहार (दे ६।८)। पत्थरिअ-पल्लव, कोंपल (दे ६।२०)। पत्थार-विनाश-पत्थारो णाम कुल-गण-संघविणासो भण्णति'
(निचू १ पृ ११६)। पत्थारी-१ समूह । २ प्रस्तर, शैय्या (दे ६।६९) । पथारी (गुज),
पथरणा (राज)।
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