________________
२५२
देयड - चर्मकार ( प्रज्ञा ११६७ ) ।
देवउप्फ5- पका हुआ पुष्प, पूर्ण विकसित फूल (दे ५८४६) । देवड - १ चर्मकार ( जीभा ४२५) । २ पुजारी (अंवि पृ १६० ) ।
देवडिंगर - वह सार्वजनिक स्थान जहां देवताओं की स्थापना की जाती है; एक प्रकार का मंदिर (व्यभा ७ टी प ४१) ।
देस-एक, दो या तीन प्रसृति का नाप - एक्का पसति दो वा तिष्णि वा पसतीतो देसो भण्णति' ( निचू ३ पृ ४६५) ।
देसराग - जिस देश में जो रंगने की विधि हो उससे रंगा जाने वाला वस्त्र' जत्थ विसए जा रंगविधी ताए, देसे रत्ता देसरागा' ( निचू २ पृ ३६९ )
।
देसियमेली - व्यापारी - मंडल - स तत्थ देसियमेलीए गओ' ( कु पृ ६५) । देसी - अंगूठा - देशीत्यङ्गुष्ठोऽभिधीयते,' 'देसी पोरपमाणा'
(व्यभाटीप ४) ।
देहबलिया - भिक्षावृत्ति-गेहूं गेहे देहंबलियाए विति कमाणी विहरई' (ज्ञा १।१६।२९) ।
देशी शब्दकोश
देहणी - पंक, कर्दम (दे ५।४८) । देहमाण - देखता हुआ (भ | १४७ ) । देहवच्च - गोत्र - विशेष (अंवि पृ १५० ) । देहिय - देखकर ( सू ११२।३) । दोआल-वृषभ ( दे ५।४६) । दोग्ग --- युगल (दे ५४६) । दोघट्ट - हाथी ( पा ) ।
दोच्च - चोर आदि का भय - दोच्चं ति चौरादिभयम्' (बृभा ३८६५ टी ) । दोच्चंग - १ पकाया हुआ शाक ( बृभा ८०१ ) । २ तीमन ( ओभा २६७) । दोग - छिलका उतारा हुआ फल का गुदा-भाग - 'दोट्टगं छल्ली मोयगं' (आचू पृ ३६७) ।
दोड्डिय - तुम्बा (व्यभा १० टीप ६३) ।
दोणअ - १ गांव का मुखिया, गांव का अधिकारी, आयुक्त (दे ५।५१) । २ हल चलाने वाला (वृ) ।
दोणक्का - सरघा, मधुमक्खी (दे ५। ५१) ।
दोष्णक-दोना, पत्तों का पुडवा (व्यभा ४।२ टीप ८४) ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org