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देशी शब्दकोश
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दवरय--रस्सी (सू २।२।१२) । दवरिका-पलाश आदि की छाल के तंतुओं को बंटकर बनाई जाने वाली
__डोरी (नंदीटि पृ १२७) । दवहुत्त-ग्रीष्मकाल का प्रारम्भ (दे ५॥३६) । दविउलंक-भाजन-विशेष (अंवि पृ १९३) । दव्वहलिया-कुहन वनस्पति का एक प्रकार (प्रज्ञा १२४७) । दव्वी-हरित वनस्पति-विशेष (प्रज्ञा ११४४) । दसतीण-धान्य-विशेष (प्रज्ञाटी प ३४) । दसियाल-पतला धागा-'उण्णामय दसियालं एयं पुण पिंछयं कत्तो'
(कु पृ१४१)। दसीरिका-खाद्य-विशेष (अंवि पृ १८२) । दसु-शोक (दे ५।३४)। दसेर-स्वर्ण-सूत्र (दे ५॥३३) । दहफुल्लह-वल्ली-विशेष (प्रज्ञा ११४०।५) । दहबोल्ली-स्थाली, पकाने का पात्र (दे ॥३६) । दहर- छोटा (संवि पृ ११६)। दहिउप्फ-मक्खन-'दहिउप्फकोमलंगी' (दे ५२३५) । दहिद-कपित्थ का वृक्ष (दे ॥३५) । दहित्थर-दधिसर, दही की मलाई (दे ५॥३६ ५) । दहित्थार--दधिसर, दही की मलाई-सदहित्थारयदहिणा णवदहवोल्ली
विरइयकरंब' (दे ॥३६) । दहिमुह-बन्दर-'दहिमुहशब्दोऽपि देश्यः कपिवाची कैश्चिदुक्तः'
(दे ५१४४ वृ)। दहिवासइ--वनस्पति-विशेष (जीवटी प ३५१) । दाअ-प्रतिभू, ऋण लेने वाले और ऋण देने वाले के बीच जमानत देने
वाला (दे ॥३८)। दाइत-दर्शित (आव २ पृ ३५) । दाइय-दर्शित (आचूला १।१३१) । दाढिया-दाढी-'दाढियाए लोमाई हुँचमाणे' (भ १५॥१२०) । दाढीय-दाढी (आवचू २ पृ ३०४)। दाण-शुल्क, चुंगी-'करेह से हिस्स अद्धदाणं' (उसुटी प ६५) ।
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