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देशी शब्दकोश
तूविर-कषैला रस (सूचू १ पृ १६) । तूह-पशुओं के जलपान करने का स्थान, घाट (बृभा ४८६०) । तूहण-पुरुष (दे ५।१७) । तेआली-तृण-विशेष (प्रज्ञा ११४३३१) । तेंडुअ-तुंबुरु-वृक्ष (दे ५।१७) । तेंदूसय-१ क्रीडा-विशेष । इस खेल में विजेता बालक पराजित बालकों की
पीठ पर बैठ कर निर्दिष्ट स्थान तक चंक्रमण करता है-'सामी तंदूसएण अभिरमति....तत्थ सामिणा स जितो, तस्स य उरि विलग्गो सामी (आवहाटी १ पृ १२१)। २ कन्दुक, गंद
(ज्ञाटी प २४४)। तेंबरुय-तेंदु का फल (भ १५॥१२५) । तेंबुरु-क्षुद्र कीट, त्रीन्द्रिय जन्तु की एक जाति (जीवटी प ३२) । तेजणचाबुक (दजिचू पृ ३१५)। तेड्ड-१ शलभ । २ पिशाच (दे ५।२३)। तेदुरणमज्जिया-त्रीन्द्रिय जन्तु-विशेष (प्रज्ञा १३५०)। तेयलि-वलयाकार वृक्ष (प्रज्ञा २४३)। तेयाली—वलयाकार वृक्ष (प्रज्ञा ११४३ पा)। तेयालीस-तेतालीस (सम ४३।१)। तेरणि-वृक्ष-विशेष (अंवि पृ ७०)। तेरिम-तेली (निचू २ पृ २४३) । तेलाल-धान्य-विशेष (अंवि पृ २५७) । तेल्लकेला-मिट्टी से बना बिना पेंदे वाला तेल-पात्र-'तेल्लकेला इव
सुसंगोविया' (ज्ञा १।१।१७)-'सौराष्ट्रप्रसिद्धो मृन्मयस्तैलस्य
भाजनविशेषः' (ज्ञाटी प १५)। तेल्लग-शराब-विशेष (जीव ३।५८६) । तेवण्ण-तिरेपन (सम ५३।१)। तेवरुक-त्रीन्द्रिय जंतु-विशेष (अंवि पृ २६७) । तेह-परत (दजिचू पृ १५५) । तोअय-चातक पक्षी (दे ॥१८) । तोतडी-करम्ब, दही-चावल का बन। खाद्य पदार्थ (दे ५।४) । तोक्कअ-बिना ही कारण कार्य में तत्पर होने वाला (दे ५॥१८) ।
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