________________
२८२
देशी शब्दकोश
छण्णी - १ वाहन-विशेष, रथ-'छण्णी सगडं वा' (आचू पृ ३४७)।
२ कंडा, छाणी (आचू पृ ३४६) । छत्त-१ आचार्य- छत्तो आयरिओ' (निच २ पृ १३३) । २ इन्द्रजाल
छत्तो कउग्गो भण्णति' (निचू ३ पृ १६) । छत्तधन्न-घास-विशेष (पा २०४) । छद्दी-शय्या (दे ३।२४) । छन्नालय-तिपाई, संन्यासियों का एक उपकरण (ज्ञा ११५॥५२) । छप्पंती-नियम-विशेष जिसमें पद्म लिखा जाता है; छह रेखाओं में कमल
का आलेखन करने का नियम (दे ३१२५)। छप्पग-पात्र-विशेष (आव २ पृ७०)। छप्पणय-१ चतुर, चालाक । २ विदग्ध, गणितियों और चित्र-वचनों के
प्रयोग में दक्ष कवि (कु पृ ३)। छप्पण्ण --विदग्ध, चतुर, पटुप्रज्ञ (दे ३१२४) । छप्पण्णय-दक्ष (पा १६३)। छब्ब --१ पानक आदि छानने के लिए बांस का बना हुआ उपकरण-विशेष
(आचू ला १।१०४) । २ पात्र-विशेष (पिनि ५६१) । छब्बग-पात्र-विशेष (पिनि २७८) । छब्बय-वंशपिट क-पानक आदि छानने का उपकरण विशेष-'मूइंगाई-मक्कोड
एहि संसत्तगं च नाऊणं । गालिज्ज छब्बएणं-वंशपिटकेन
(ओनि ५६०)। छमलअ-सप्तपर्ण, सतौना का वृक्ष (दे ३।२५)। छम्माणि-गांव-विशेष का नाम-'ततो भयवं छम्माणि नाम गामं गतो'
(आवमटी प २६७)। छलंत-सेंटिका करता हुआ (अंवि पृ १३५) । छलिअ-विदग्ध , पटुप्रज्ञ (दे ३।२४) । छलिक-प्रिय (अंवि पृ १२०)। छल्लिया-छाल-'मूलाछल्लिया इ वा वालुंकछल्लिया इ वा' (अनु ३।५०) । छल्ली -छाल, त्वक् (अनु ३।३१; दे ३।२४) । छवडी-चर्म (ओटी प २१७; दे ३।२५) । छवण-गोबर-'छवणमट्टियाए लिंपणं उवलेवणं' (निचू २ पृ ३३४) । छवाविय-प्रावृत, (घर को) छवाया, आच्छादित किया-'घरं....छवावियं'
(आवहाटी १ पृ १७५) ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org