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देशी शब्दकोश
२३१ तलिम-१ शय्यागृह, वासभवन-'परिणीया, तलिमे भत्तारस्स सब्भावो
कहितो' (दअचू पृ २३; दे ५।२०) । २ शय्या (ज्ञा १११६।५५; दे २२०)। ३ फरस-बन्द जमीन । ४ भूनने का भाजन । ५ घर
के ऊपर की भूमी (दे ५।२०)। तलिमा-वाद्य-विशेष (भटी पृ ८८३)। तलिय-आसन-विशेष (अंवि पृ ६५) । तलिया-१ पात्र-विशेष-'अट्ट सोवण्णियाओ तलियामओ' (भ ११।१५६) ।
२ जूता (बृभा २८८३)। तल्ल-१ छोटा तालाब । २ 'बरु' नाम का तृण । ३ शय्या (दे ॥१६)। तल्लकट्ट-(तलवत ?) -मस्तक, सिर (जीविप पृ ५४) । तल्लग-सुरा-विशेष (जंबूटी प ६६) । तल्लड-शय्या, बिछौना (दे ५।२) । तल्लिच्छ-तत्पर, तल्लीन (ज्ञा १२।११; दे ५॥३)। सवअ-व्यापृत, प्रवृत्त (दे ५२२) । तवणी-१ पकाने का पात्र, तवा (ओटी प ६६) । २ भक्षणयोग्य कण
(दे ॥१) । ३ धान्य को क्षेत्र से काटकर भक्षणयोग्य बनाने की
क्रिया। तवप्प-संन्यासी का एक उपकरण (आवचू १ पृ ४७१) । तव्वणिय-बौद्ध, बुद्धदर्शन का अनुयायी-'तव्वणियाण बिय विसयसुहकुसत्थ
भावणाधणियं (विसे १०४१) । तसिअ-शुष्क (दे ५।२)। तहरी-पंकवाली सुरा (दे ॥२)। तहल्लिआ-गोवाट, गायों का बाडा (दे ५।८)। ताइय-पारस या अरब देश के व्यापारी (कु पृ १५३) । ताज्जिक-पारस या अरब देश के व्यापारी (कु पृ १५३)। ताडक-भूमीगत बिल में रहने वाला प्राणी-विशेष (अंवि पृ २२७) । ताडिअय--रोदन (दे ५।१०)। तामर-सुन्दर, रम्य (दे ५।१०)। तामरस-जल में पैदा होने वाला फूल (प्रज्ञा ११४६ ; दे ५।१०)। तारत्तर-मुहूर्त (दे ५॥१०)। तालप्फली-दासी, चेटिका (दे ५११) ।
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