________________
१२०
कुहेडग ---१ अदरक (प्रसः २१० ) । २ अजवायन । कूइय - दुग्ध - वराटिका, खोआ, मावा ( आवटि प १३ ) । कूचित - छेना, भोज्य पदार्थ विशेष (अंवि पृ २२०) । कूचिया - छेना (नंदीटि पृ १८२) । कूड-जाल, फंदा (बृभा २३६० ; दे २।४३) । कूडाहच्च – कुचल कर मारना (भ ७२०२) । कूणिअ-ईषद् विकसित ( दे २०४४ ) |
कूभंड- बड़ा फल, कुम्हडा (अंवि पृ २३१) |
कूभंडग - कुम्हडा, कुष्मांडक (अंवि पृ २३९) ।
कमंडी - वल्ली - विशेष (अंवि पृ७० ) ।
2
कूय - जहाज का मध्य-स्तंभ जहां पाल बांधा जाता है ( निचू १ पृ ७४) । २ कुतुप, तैल-भाजन ( ज्ञाटी प ६३) ।
कूर - थोड़ा (प्रा २।१२६) ।
कूरउंडिया - --खाद्य-विशेष (आवचू २ पृ ६९ ) । कूरओडिया- - खाद्य विशेष (आवहाटी २ पृ८८ ) ।
कूरखोट्ट - ओदन का भोजन (ओटी पृ ३७९) ।
कूल - १ तिनका-' इतरोवि य तं नेड्डं घेत्तूणं पादवस्स सिहराओ । कूलं एक्केक्कं अंछिऊण तो उज्झती कुवितो || (आवचू १ पृ ३४५) । २ सेना का पिछला भाग (दे २१४३ ) |
देशी शब्दकोश
कूव - १ चुराई हुई चीज को लाने वाला ( ज्ञा १।१६। २०९ ) । २ चुराई हुई वस्तु की खोज में जाना (दे २।६२ ) ।
कूवग्गाह – तैलपात्र को धारण करने वाला (भ ६ । २०४) ।
कूवल - - जघन - वस्त्र, अधोवस्त्र (दे २१४३ ) |
कूविय - १ चोर की खोज करने वाला - सुबहुस्स वि कूवियबलस्स आगयस्स दुप्पहंसा यावि होत्या ' ( ज्ञा १।१५।१८ ) । २ चुराई हुई वस्तु को खोजकर लाने वाला ( पिनि ११९ ) ।
कूवियत्त - मुक्तता ( दिलाना ) - जो कुणति कूवियत्तं, सो वण्णं कुणति तित्थस्स' ( निभा ३५१ ) ।
'कूविय' बल - १ मोष व्यावर्तक सेना ॥ २ चोरों की खोज करने वाली सेना ( ज्ञा १।१८।१८ ) |
कसार - गर्त, खड्डा (दे २/४४ ) |
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org