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देशी शब्दकोश
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खडफडा--हलचल-किं एवट्टाए खडफडाए' (आवचू २ पृ १३) । खडय-टक्कर-'ते भीता.""खडयं देज्जा' (निचू ३ पृ ३४५) । खडयप्पयाण-दौड़ना (जीविप पृ ३४)। खडहड-गीले गुड का एक प्रकार-'फाणिओ गुलो भण्णति, सो दुविहो
छिड्डगुडो खडहडो य' (निचू २ पृ २३८) । खडहडअ-खड-खड की आवाज-'चालियमहल्लघंटाखडहडओ कोट्टज्जाघरेसु'
(कु पृ८३)। खडहडग–१ छोटा और लंबा (जीव ३।२६२) । २ गिलहरी (ति ३१). खडहडी-गिलहरी (दे २१७२) । खडियाचुप्पडिया-जादू-टोना-'कुंटलविंटलं नाम खडियाचुप्पडियादि'
(आवमटी प २७०)। खडुआ–१ मोती (दे २०६८) । २ कंकड (?) (कु पृ ४१) । खडुक्का-मुंड सिर पर अंगुली का आघात, ठुनकाना, 'ठोला' मारना
(व्यभा १ टी प १३) । खड़ग-१ मुंड मस्तक पर अंगुली का प्रहार (निचू ४ पृ ३१२)। २ हाथ
का आभूषण (अवि पृ ६४)। खडुहा-ठोकर, आघात-कण्णामोड-खडुहा-चवेडादी' (जीभा २३७६)। खड्ड--१ श्मश्रु, दाढीमूंछ (दे २।६६) । २ बड़ा, महान् । ३ गर्त के आकार
वाला । खड्डग --बड़ा-'खड्डगच्छगलमहिससूगरादिषु' (सूचू २ पृ ३५६) । खड्डय-गर्त (आवचू २ पृ ७२)। खड्डा-१ गर्त के आकार वाला (उपा २।२१)। २ गत-'जारिसियाओ
इच्छिज्जति तारिसा खड्डा खणंति' (आवचू १ पृ ८१)। ३ खानि, आकर (दे २।६६) । ४ पर्वत का गर्त-'खड्डा-खानिः। पर्वतखातमि
त्यन्ये' (वृ)। खडिअ—मत्त, उन्मत्त (दे २॥६७)। खड्डुग—मुद्रारल, राजमुद्रा से अंकित अंगूठी (आवचू १ पृ ५४६) । खड्ड्य -बालक (अनुद्वाहाटी पृ ११)। खड्ड्या -आघात, मुंड मस्तक पर अंगुली का प्रहार-'खड्डुया मे चवेडा में'
(उ ११३८)। खणय-सेंध- रत्ति खणो णीहिति' (आवचू १ पृ ३१३) ।
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