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देशी शब्दकोश
गहण-१ निर्जल प्रदेश (आचूला ३।४८; दे २।८२) । २ धरोहर । गहणी--बलात् अपहृत स्त्री (दे २१८४)। गहर--गृध्र, गीध पक्षी (प्रज्ञा १७६; दे २।८४)। गहवइ-१ ग्रामीण । २ चन्द्र (दे २११००)। गहिअ-मोड़ा हुआ, टेढा (दे २१८५)। गहिआ-१ कामभोग के लिए इष्ट स्त्री (दे २।८५) । २ ग्रहण करने योग्य
स्त्री। गहिक-गोत्र-विशेष (अंवि पृ १५०) । गहिल्ल-पागल, भूताविष्ट (आचू पृ ३३७) । गाअ-गाय-'तहेव गाओ दुज्झाओ' (द ७।२४)। गागर--१ स्त्री का परिधान विशेष, घाघरा (प्र ४।१४) । २ मत्स्य-विशेष
(प्रज्ञा ११५६) ।। गागरक-मत्स्य की एक जाति (अंवि पृ ६३) । गागरी-गगरी, कलशी-'दोससयगागरीण' (तंदु १६१)। गागज्ज-मथित (दे २।८८)। गागेज्जा -नवोढ़ा, नवपरिणीता (दे २१८८)। गाडिअ-विधुर (दे २.८३)। गाणी-गवादनी-गायों के खाने के लिए घास, भूसा आदि रखने का बड़ा
__ बर्तन या गोचर भूमी (दे २।८२) ।। गाधा-घर-गाधा गृहमित्येकोऽर्थः इति चूणौँ' (बृटी पृ ७८८) । गामउड----ग्राम-प्रमुख (निचू २ पृ ५७; दे २।८६)। गामगोह- गांव का मुखिया, ग्राम-प्रधान (दे २।८६) । गामचडय--गांव का अधिकारी (कु पृ १३) । गामणिसुअ-ग्राम-प्रधान, गांव का मुखिया-'गामणिसुअशब्दोऽपि
ग्रामप्रधानवाचीत्यन्ये' (दे २१८६ वृ)। गामणी-- गांव का मुखिया, ग्राम-प्रधान (दे २।८६) । गामपिंडोलग-ग्रामभिक्षु, भिखारी (आ ६।४।११)।। गामरोड-छल से गांव का मुखिया बन बैठने वाला, गांव के लोगों में फट
डालकर गांव का उपभोग करने वाला (दे २।६०)। गामवोद्रह-गांव का युवक-अधिकारी (कु पृ ५२) । गामेणी-~-बकरी (दे २१८४)।
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