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देशी शब्दकोश
चुक्कितक-खाचे-विशेष, चूरमा (अंवि पृ २४६) । चुक्कुड-बकरा, छाग (दे ३।१६) । चुचय-अनार्य देश की एक जाति (भ ३।६५) चुज्ज-आश्यर्य (दे ३।१४) । चुडण-जीर्णता (पिनि २५) । चुडलग-खण्ड खण्ड किया हुआ (सूनि ७१) । चुडलय-अलात (निचू १ पृ १६३)। चडलि-उल्मुक, जलती हुई लकड़ी (बृभा ३१०२) । २ जलता हुआ घास
का पूला-'चुडलि तणपिंडी अग्गे पज्जलिता' (नंदीचू पृ १६)। चुडलिया-जलता हुआ घास का 'पूला' (नंदी १२ ) । चुडली-अलात, जलती हुई लकड़ी (उशाटी प ३३०) । चुडल्लि-जलता हुआ घास का पूला (भटी पृ ८६३) । चुडिलीय-उल्का, अलात (अंवि पृ ६२)। चुडुप्प-छाल उतारना (दे ३।३ वृ) । चुडुप्पा-त्वक, छाल (दे ३।३)। चडल - उल्का, जलती हुई लकड़ी (जीभा ४२) । चुडुलि--गुरु-वन्दन का एक दोष (आवनि १२११) । चुडुलिय-गुरु-वन्दन का एक दोष, रजोहरण को अलात की तरह घुमाते हुए
वन्दन करना (प्रसाटी प ३८)। चुडुली--अलात, जलती हुई लकड़ी (जीमा ४०; दे ३।१५) । चुड्डुल्ली-उल्का (प्रज्ञाटी प २६) । चुणअ-१ चंडाल । २ अल्प । ३ बालक। ४ मुक्त। ५ छंद, अभिप्राय ।
६ अरोचक, अरुचिकर। ७ व्यतिकर, प्रसंग (दे ३२२) । ८ विअरअ' (?)। ६ आघ्रात, संघा हुआ-'चुणओ विअरओ इति
धनपालः । आघ्रातार्थे पीति केचित्' (वृ)। चुणय-पुत्र (व्यभा ७ टी प ८५)। चुणिअ-निधारित, विशेष रूप से धारण किया हुआ (दे ३।१५)-'सा अच्छइ
___ आसतंतुचुणिअप्पा' (वृ)। चुण्णइअ-चूर्ण से आहत, जिस पर चूर्ण फेंका गया हो वह (दे ३।१७) । चुण्णय-भयभीत, संत्रस्त (विपा ११२।१४) । चुण्णाआ–कला, विज्ञान (दे ३।१६) ।
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