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देशी शब्दकोश
चारुपीणय-पात्र-विशेष (जंबूटी प १००)। चालणा-पूछताछ-'ता किं करेमि किंचि से चालणं, अहवा ण करेमि, कज्जं
पुणो विहडइ' (कु पृ १५१) । चालवास-मस्तक का आभूषण-विशेष (दे ३।८)। चालीस-चालीस (उसुटी प १६१)। चावल्ल-धान्य-विशेष (निचू २ पृ १०६) । चाववंस-पर्व-वनस्पति-विशेष (प्रज्ञा ११४१२१)। चास-हल द्वारा विदारित भूमि-रेखा (दे ३।१) । चाहित-प्रेक्षित-'चहितं ति चाहितं प्रेक्षितं निरीक्षितं दृष्टमित्यनन्तरं'
(नंदीचू पृ ४६)। चिच-इमली (दश्रुचू प ३८)। चिचइअ--१ खचित-चिंचइ ति देशीवचनतः खचितमित्युच्यते'
(आवहाटी १ पृ १२३)। २ मण्डित, शोभित-'समणो समण
गुणनिउणचिचइओ' (ति ७०२)। ३ चलित (दे ३॥१३)। चिचणिया-इमली (व्यमा ६ टी प ८)। चिचणी–१ घरट्टिका, धान पीसने की चक्की (दे ३।१०) । २ इमली का
पेड़। चिचा--इमली, इमली का पेड़ (विपा २६।१६; दे ३३१०) । चिचिणि -१ इमली (ओनि २६) । २ इमली का पेड़
(निभा २६१३; दे ३३१०)। चिचिणिचिचा-इमली-'कैश्चित् चिचिणिचिंचाशब्दः समस्त एव
अम्लिकावाचकत्वेन प्रोक्तः' (दे ३।१० वृ)। चिचिणी---इमली का पेड़ (निचू ६ पृ ७४; दे ३।१०) । चिचिय-१ मेंढक की चि-चिं की आवाज (उसुटी प ३०५) । २ मंडित,
भूषित। चिचिल्लिअ-भूषित (पा १४६)। चिधाल-१ रम्य । २ उत्तम (दे ३।२२) । ३ नये रंगे वस्त्र की पगड़ी
(कु पृ ४७)। चिफलक-बैठने का आसन-विशेष-'फलकी भिसी चिंफलको मंचकोऽथ
___मसूरको' (अंवि पृ १५)। चिफल्लणी-अोरुक, स्त्रियों का ऐसा अधोवस्त्र जो साथल तक आता हो
(दे ३।१३)।
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