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देशी शब्दकोश गंडी-पुस्तक का एक प्रकार जिसके चारों कोण समान तथा लम्बाई-चौड़ाई
समान हो-'बाहल्लपुहुत्तेहिं गंडीपोत्थो उ तुल्लगो दीहो' (प्रसा ६६५)। गंडीरी-ईख का टुकड़ा, गंडेरी (दे २।८२)। गंडीव-धनुष (दे २।८४)। गंडपक --पैर का आभूषण, नूपुर-'गंडूपकं ति वा बूया.....तधा णीपूरगं
व त्ति' (अंवि पृ६५) । गंडपयक-जंघा का आभूषण-'गंडूपयकं णीपुराणि परिहेरकाणि'
(अंवि पृ १६३) । गंद-जाति-विशेष-'चंडाल-पुलिंद-गंद-गोपालादि च' (सूचू १ पृ २३१)। गंदित- गंदा कर दिया (अंवि पृ १४८) । गंदीणी-आंख-मिचौनी का खेल (दे २१८३) । गंधपिसाअ-गंधिक, पंसारी (दे २।८७) । गंधलया-नासिका (दे २।८५)। गंधिअ --दुर्गन्ध (दे २।८३) । गंधेल्ली-१ छाया । २ मधुमक्खी (दे २।१००)। गंधोल्ली-१ इच्छा । २ रात्री (दे २०६६)। गंभीर-चतुरिन्द्रिय जीव-विशेष (प्रज्ञा ११५१) । गग्गर-१ स्त्रियों के पहनने का वस्त्र, घाघरा (निच ३ पृ६०) २ गद्गद,
__ अस्पष्ट आवाज-'सरोवि से..."खूभियगग्गरो (निचू ४ पृ ३०५) । गग्गरग-घाघरा (निभा ७८२)। गज्ज-यव (दे २१८१)। गज्जणसह--पशुओं को निवारण करने की ध्वनि (दे २१८८)। गज्जफल-देश-विशेष में उत्पन्न वस्त्र-विशेष (आटी प ३९३) । गज्जर-गाजर, कंद-विशेष (प्रसा २३७) । गज्जल--पहनते समय बिजली के समान कड़कड़ शब्द करने वाला वस्त्र
'गज्जलाणि कडकडेंताणि कायकंठलपावारादीणि'
(आचू पृ ३६४)। गज्जह-पश्चिमोत्तर दिशा का पवन (आवचू १ पृ ५१२) । गट्टि-गुठली (जीभा १७०१)। गट्टिया-गुठली (अनु ३।४५) ।
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