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देशी शब्दकोश
कुविक - हीन अवयव वाला (अंवि पृ १५३) ।
कुव्वर - खप्पर ( आवचू २ पृ २४७ ) 1
कुसण - १ गोरस । २ पानक, मूंग की दाल आदि का पानी - कुसणं गोरसं पाणगं वा' (आचू पृ २५० ) । ३ तीमन, कढी आदि व्यञ्जन (पिनि २०२; दे २/३५) । ४ गोरस से बना हुआ करंबा आदि खाद्य ( पनि २८२ ) ।
कुसत्त - आस्तरण- विशेष ( ज्ञा १|१|१८ ) ।
कुसी - कृमि की एक जाति (अंवि पृ ७० ) । कुसुंभिल - - पिशुन, चुगलखोर (दे २।४० ) । कुसुकुंडी - मधुर सुरा - विशेष (अंवि पृ २२१) ।
कुसुण- दही आदि (पिनि ६०७ ) ।
कुसुणित - गोरस से बना हुआ करंबा आदि खाद्य - - 'कुसुणितमपि करंबादिरूपतया कृतमपि' (पिटी प ६१ ) ।
कुसुमण्ण-कुंकुम ( दे २।४१) । कुसुमाल - चोर (दे २ १० ) ।
कुसुमालिअ -- अन्यमनस्क (दे २।४२) ।
कुहंडिय-- ताला लगाना, ढकना - सा घरे छोढूणं बाहिरि कुहंडिया' ( आवहाटी १ पृ १५० )
कुहड - कुब्ज, कूबड़ा ( पंव = ३२; दे २।३६) ।
कुहणय - कुहन वनस्पति का एक प्रकार ( प्रज्ञा १।४७ ) ।
कुहव्वय - कन्द - विशेष ( उ ३६।६७ ) ।
कुहाड - कुल्हाड़ी, फरसा (निचू २ पृ ५) ।
कुहावणा - - बहुरूपिये की वृत्ति से अर्थार्जन करना - वट्टादि इंदजालं, खेड्डा कुहावना एसा' (जीभा १७२१) ।
१.१६
कुहिअ - लिप्त, पोता हुआ (दे २।३५) ।
कुहिणी - १ कोहनी, कूर्पर । २ रथ्या, गली (दे २।६२) ।
कुहिय - वायु- विशेष, दौड़ते हुए अश्व के उदर- प्रदेश के पास उत्पन्न होने वाला एक प्रकार का वायु- घणगज्जिय-हयकुहियं विज्जू दुग्गेज्झ गूढहियआओ' (ग ६५)।
कुहुण - वनस्पति- विशेष (भ २३ | ४ ) ।
कुहेड - - १ चमत्कार, मंत्र-तंत्र के द्वारा झूठा चमत्कार ( उसुटी प २७१) २ गुरेटक, एक प्रकार का हर्रे का गाछ (दे २।३५) ।
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