________________
४६
डंबा - बन्धन (दे ११८६ ) । उंबी -- पका हुआ गेहूं (दे १८६ ) |
उबेभरिया – एकास्थिक वृक्ष - विशेष (प्रज्ञा १३५ ) ।
उकरड—कूड़ा-करकट डालने का स्थान - भाषायाम् उकुरडो इति प्रसिद्धं मलनिक्षेपणस्थानम्' (राजटी पृ २६ ) ।
उकुरटिका - अकुरड़ी, कूड़ा डालने का स्थान (ओटी प १६२ ) । उक्क -- पाद- पतन, पैरों में गिरना (दे ११८५ ) ।
४ घूस,
उक्कंचण --- १ बंधन - वंसंग कडणोक्कंचण छावण छेवण दुवार भूमी य' ( बृभा ५८३ ) । २ माया (दश्रुचू प ४० ) । ३ झूठी प्रशंसा, चापलूसी, अगुणी के गुण बताना (ज्ञाटी प८६) । रिश्वत । ५ मूर्ख या भोले पुरुष को ठगने वाले धूर्त का, समीपस्थ विचक्षण व्यक्ति के भय से, कुछ समय के लिए निश्चेष्ट रहना (ज्ञाटी प २४५ ) । ६ मानोन्मान में कुटिलता करने वाले ठग का, अधिकारी की उपस्थिति में, कहीं यह राजा को मेरी शिकायत न कर दे, इस चिन्तन से छुप जाना ( सूचू २ पृ ४६२ ) । · उक्कंठुलय- उत्सुक (कु पृ १३४) ।
उक्कंडा -- रिश्वत, लंचा (दे १/६२) ।
उक्कंति- - कूपतुला, कुएं से पानी खींचने का साधन (दे ११८७ ) |
उक्कंती - कूपतुला (दे ११८७ ) ।
उक्कंदि - कूपतुला, कूप से पानी खींचने का साधन (दे ११८७ ) ।
उक्कंदी - कूपतुला (दे ११८७ ) ।
देशी शब्दकोश
उक्कंपित - बांस की खपचियों से बांधा हुआ (दश्रुचू प ६५ ) ।
उक्कंबिय - बांस की खपचियों से बांधा हुआ - ' कडिए वा उक्कंबिए वा छन्ने वा लित्ते वा' (आचूला २।१० ) ।
उक्कड —— त्रीन्द्रिय जंतु - विशेष (प्रज्ञा ११५० ) ।
उक्कडिअ - तोड़ा हुआ, छिन्न ( पा ४६६) ।
उक्कल -- मकड़ी (उ ३६।१३७) ।
उक्कलिय - १ त्रीन्द्रिय जन्तु, मकड़ी (प्रज्ञा १।५० ) । २ उबला हुआ ।
उक्कली - मकड़ी, लूता ( दअचू पृ १८८ ) ।
उक्का - कूपतुला, कुएं से पानी खींचने का साधन (दे ११८७ ) । उक्कारिका — खाद्य पदार्थ - विशेष (अंवि पृ १८५२ ) ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org