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रुधिर, वसा आदि - तं च से कुणिमं गलति उवरि' ( आवहाटी २ पृ ४८ ) ।
कुणिय - हास्यास्पद शब्द - '
- "कुणियं वा भणतो हसिज्ज सि' ( निचू ३ पृ ३६ ) । कुत किट्ट - रोम - विशेष - ' कुतकिट्टा वि रोमविसेसा चेव देसंतरे, इह अप्पसिद्धा (निचू ३ पृ ५७) ।
कुतत्ती - मनोरथ, वांछा (दे २१३६) ।
कुतलग – छोटे-छोटे टुकड़े (दअचू पृ ११५) ।
कुतव - चूहे के रोमों से बना वस्त्र - ' कुतवं उंदररोमेसु (अनुद्वाहाटी पृ२२ ) ।
कुतिपि - बिल में रहने वाला क्षुद्र-कीट (अंवि पृ २२६) । कुत्त - ठेका, इजारा ( विपा १|१|४९ पा ) देखें - कुंत । कुत्तिका - मधुनिष्पन्न करने वाली मक्षिका-विशेष ( प्रसाटी प ५३ ) । कुत्तिय - चतुरिन्द्रियजन्तु - विशेष (आवचू २ पृ ३१९) ।
कुत्तुंबक- वाद्य - विशेष ( जीव ३।७८ ) |
देशी शब्दकोश
कुत्थर - १ विज्ञान, प्रज्ञा, कलाकौशल (दे २।१३ ) । २ वृक्ष कोटर । ३ सर्प आदि का बिल ।
कुत्थंबरी - बहुबीजक वनस्पति- विशेष (भ ८१२२०)।
कुत्थुहवत्थ - १ नीवी, अधोवस्त्र को बांधने का नाड़ा (दे २।३८) |
कुत्थंभरिय - वनस्पति- विशेष, धनिया (भ २२३) ।
कुटुक्का - नालिका से खेला जाने वाला द्यूत - 'नालिका क्रीडा कुदुक्का - क्र त्ति' ( सूचू १ पृ १७९ ) ।
कुदुव्वर - वाद्य विशेष ( आवचू १ पृ ३०९ ) ।
कुद्द -- प्रभूत, प्रचुर (दे २।३४) ।
कुद्दण - रासक, एक प्रकार का नृत्य (दे २१३८) ।
कुधवा --- वल्ली विशेष ( प्रज्ञा १।४० ) ।
कुधुलूक - पक्षी विशेष, उलूक की एक जाति (अंवि पृ ६२ ) ।
कुप्पढ–१ गृहाचार, घर का रिवाज (दे २०३६) । २ समुदाचार - ' कुप्पो गृहाचारः समुदाचार इत्यन्ये' (वृ) ।
कुप्पर- १ तीक्ष्ण, तीखा ( पिनि ४१८ ) ।
२ कीलाघात, रति-क्रीडा के समय छाती पर एक विशेष प्रकार का आघात करना । ३ समुदाचार, आचार-व्यवहार का सम्यक् पालन । ४ क्रीडा, उपहास ( दे २/६४ ) । कुप्पल – जलयंत्र का एक भाग (अंवि पृ २५५) ।
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