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देशी शब्दकोश
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कुडंभग-जलमंडूक की भांति फुदकना अथवा जल में मंडूक की भांति
आवाज करन:-'कुडंभगो जलमंडुओ भण्णति ......."सुंदरं कुडुभगं
करेसि त्ति मं पि सिक्खावेहि' (निचू १ पृ ७०)। कुडुक-कुरुदेश का वासी (व्यभा ४/४ टी प ५२) । कुडुकालक-मत्स्थ की एक जाति (अंवि पृ २२८) कुडक्क--१ कुरु देश का वासी (व्यभा ४/४ टी प ५२) । २ लतागृह
(व्यभा १० टी प १५) । ३ निर्दय, निष्ठुर (निचू २ पृ २६६;
दे २।६३) । ४ देश-विशेष (व्यभा ४।४ टी प ५२) । कुडुच्चिअ-संभोग, मैथुन (दे २।४१) । कुडुह-उभरा हुआ भाग (नंदीचू पृ ६४) । कुडु---१ दीवार (भ ८।२५७) । २ पात्र-विशेष (निचू ३ पृ ३८६)।
३ कुतूहल, आश्चर्य (आवमटी प ५३०; दे २।३३)। कुड्डगिलोई-छिपकली (दे २।१६)। कुड्डलेवणी-चूना, खड़ी, खटिका (दे २।४२) । कुढ-१ चुराई हुई या छीनी हुई वस्तु की खोज करने वाला
(दअचू पृ ५१; दे २।६२) । २ चुराई हुई चीज को छुड़ानेवाला
(दे २।६२)। कुढारक-घटाकार पात्र (अंवि पृ ६५)। कुढावय-अनुगमन-'तुरयस्स कुढावयम्मि पडिलग्गो'
(विभामहेटी पृ ५३४) । कुढिय-१ चुराई वस्तु को खोजने वाला (पंक ५७४) । २ चुराई वस्तु को
खोजकर लानेवाला (निचू १ पृ १२२) । ३ ग्रामप्रधान ।
४ आरक्षक (आवहाटी १ पृ १८१) । कुढेरग-कन्द-विशेष (पंक ७३३) । कुण-हास्यास्पद शब्द-वेयणचेट्टाहिं एवं कुणं......."वा करोतीत्यर्थः'
(निचू ३ पृ ३६)। कुणक्कय--कुहन वनस्पति का एक प्रकार (प्रज्ञा १।४७) । कुणिआ-बाड़ का छिद्र (दे २।२४) । कुणिक-सेवक-विशेष-'कुणिकाश्व सेवकविशेषाः' (प्रटी प १५) । कुणिणह-अक्षिरोग-विशेष (अंवि पृ २०३) । कुणिम-१ मांस (सू १।४।८)। २ रुधिर, मांस, वसा आदि से संकीर्ण
अपवित्र स्थान (सू ११५।२७) । ३ शव (प्र ३६)। ४ शव का
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