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देशी शब्दकोश
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कसई- अरण्यचारी वनस्पति का फल (दे २१६) । कसक-बिल में रहने वाला जंतु-विशेष (अंवि पृ २२६) । कसकी-वनस्पति-विशेष (अंवि पृ ७०)। कसट्ट--कचरा (ओनि ५५७) । कसणसिअ--बलभद्र, वासुदेव का बड़ा भाई (दे २।२३) । कसर-खुजली (भ ७।११६) । २ अधम बैल (दे २।४) । कसरक्क-१ चर्वण-शब्द-खज्जइ न उ कसरक्केहि' (प्रा ४।४२३)।
२ फूल की कली। कसरि-मिष्ठान्न-विशेष (अंवि पृ १७६) । कसव्व-..१ अल्प । २ आर्द्र, गीला । ३ प्रचुर । ४ वाष्प, भाप (दे २१५४)।
५ कर्कश। कसिआ-अरण्यचारी नामक वनस्पति का फल (दे २।६) । कसित-गोत्र-विशेष (अंवि पृ १४६)। कसुग-हीन वचन-'भणंति कक्कसकसुगादीणि वा' (सूचू १ पृ २२१) । कसोति–खाद्य-विशेष-'महाहिं कसोति भोच्चा कज्जं संधेति'
(सूर्य १०।१७) । कस्स -कर्दम (दे २।२)। कस्सय–उपहार, भेट (दे २०१२) । कहकहग---'कह-कह' की आवाज, खुशी की आवाज (राज २८१)। कहक्कह--अट्टहास-'चलणे देहे पत्थर, सविगार कहक्कहे लहुओ'
(बृभा ६३१६) । २ आनन्द की ध्वनि (ति १३५)। कहल्ल-खप्पर, कपाल-'चिययाओ फुल्लियकिंसुयसमाणे खइरिंगाले कहल्लेणं
गेण्हइ' (अंत ३।८६)। कहितेल्लय-कहा (आवचू १ पृ २३३) । कहेड–तरुण (दे २०१३)। कहेडय - तरुण (दे २।१३ वृ)। काअ-१ लक्ष्य बींधने योग्य । २ उपमानभूत पदार्थ या व्यक्ति (दे २।२६) । काइणी-गुंजा, लाल रत्ती (दे २।२१)। काइय-मूत्र-'सण्णं काइयं च वोसिरंति' (आवहाटी १ पृ १४५) । काउ-कांवर (निभा १४८६)।
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