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देशी शब्दकोश
किंबोड-स्खलित (दे २।३१) । किक्किड-गिरगिट (दे २०७४) । किक्किडि--सर्प (दे २।३२) । किच्चण-प्रक्षालन, धोना-'किच्चणं च पोत्ताणं' (ओनि १६८)। किज्जर-भाजन-विशेष (अंवि पृ २२१) । किट-लोह आदि धातुओं का मल-'अट्टिरासिसि वा किट्टरासि सि वा,
तुसरासि सि वा' (आचूला १।३)।। किट्रि-विभाग-विशेष की प्रक्रिया-किट्टयो नाम पूर्वस्पर्धकेभ्यः प्रथमादिवर्गणा
गृहीत्वा विशुद्धि-प्रकर्षवशादत्यन्तहीनरसाः कृत्वा तासामेकोत्तरवृद्धिन
त्यागेन बृहदन्तराल तया व्यवस्थापनम्' (प्रसाटी ५ १९८) । किट्टिका-वनस्पति-विशेष (जीव ११७३)। किट्टिया-अनंतकाय वनस्पति विशेष (भ ७।६६) । किट्टिस-१ ऊन आदि का शेष बचा हुआ अंश । २ एक प्रकार का सूता
'उण्णितादीणं अवघाडो किसिमहवा..."साणगादयो रोमा ते सव्वे
किट्टिसं भन्नति' (अनुद्वाचू पृ १५)। किट्टी-समझा बुझा कर संभोग के लिए एकांत में ले जाई जाने वाली स्त्री
(व्यभा ४।३ टी प ५७)। किट्रिया- अनन्तकाय वनस्पति-विशेष (भ ७।६६)। किडि- १ वृद्ध -'किडि खुड्ड वसभा वा' (निभा ३०६०) । २ सूअर
(दे २।३१ वृ)। किडिका-खिड़की (अंवि पृ २७) । किडिकिडिया---निर्मास अस्थि के कारण उठने-बैठने से होने वाली ध्वनि
'निम्मंसे किडिकिडियाभूए अट्ठिचम्मावणद्धे'
(ज्ञा १११।२०२)। किडिग-- रोग-विशेष (अंवि पृ २०३) । किडिभ-कुष्ठविशेष-किडिभं कुटुभेदो सरीरेगदेसे भवति' (निचू ३ पृ ३२४)
-किडिभं जंघासु कालाभं रसियं बहति' (निचू ३ पृ ६२)। किडिभक-व्यापन्न शरीर वाला (अंवि पृ २०३) । किडिभिल्लकोढी-कच्छुल्ले किडिभिल्ले छप्पतिगिल्ले य णिल्लोम'
(निभा ४०१८)। किडिया-छोटाद्वार, खिड़की-सावयादिभए दुवारगुत्तीकरणं तेहिं देहाहि
दंडएहिं किडिया कज्जति' (निचू २ पृ ४०)।
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