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देशी शब्दकोश
करिआ-मदिरा परोसने का पात्र (दे २।१४) । करिण्हुका-उद्भिज्ज जंतु-विशेष (अंवि पृ २२६)। करिमअर-जलहस्ती (से ५।५७) । करिलेग-करील वृक्ष, करील (अंवि पृ २३८) । करिल्ल --१ वंशांकुर, बांस का कोपड़ (दे २।१०) । २ अंकुर
(अनु ३।३५)। ३ करैला (विभा २६३)। ४ करील वृक्ष ।
५ वंशांकुर के समान । करुल्ल-कपाल, खप्पर, फूटे घड़े का टुकड़ा-गोवालाणं जेणं जं करुल्लं
__ आसाइयं सो तत्थ पजिमिओ' (आवहाटी १ पृ १३४) । करेड्डु----कृकलास, गिरगिट (दे २।५)। करेडुयभत्त-मृतभोज-'वणियकुले मयकिच्चं करेडुयभत्तं'
(निचू ३ पृ ४१८) । करोड–१ कटोरा (निभा ३२८३) । २ नारियल । ३ कौआ । ४ बैल
(दे २१५४) । करोडक-कटोरा (अंवि पृ ६५) । करोडय--पात्र-विशेष (सूचू १ पृ ११८) । करोडि-परोसने का एक उपकरण (जीवटी प १४६) । करोडिया-मिट्टी का पात्र (भ २।३१) । करोडी-१ एक प्रकार की चींटी (दे २।३)। २ शव। ३ भाजन-विशेष,
कटोरी (अंवि पृ ७२)। कलअ-१ फली (आचू पृ ३४१) । २ अर्जुन वृक्ष । ३ स्वर्णकार
(दे २१५४) कलंक-१ बांस की बनाई हुई जालीदार बाड़ (ज्ञा २।१।१६)। २ बांस
(दे २१८)। कलंकल-अनिष्ट, अशुभ-'कम्मकलंकलवल्लि छिदइ संथारमारूढो'
(महा १३०) । कलंकवई-वृति, बाड़ (दे २।२४) । कलंबचीरपत्त-एक प्रकार का शस्त्र-खुरपत्ताण य कलंबचीरपत्ताण य'
(विपा ११६।१६)। कलंबचीरिया-तृण-विशेष जिसका अग्रभाग अत्यंत तीक्ष्ण होता है
(जीव ३१८५)। कलंब-नालिका नाम की वल्ली (दे २।३) ।
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