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देशी शब्दकोश उच्चुप्पिय-आरूढ़ (दे ११००)। उच्चुलउलिय--कुतूहलवश त्वरता से जाना (दे १११२१)। उच्चुल्ल-१ उद्विग्न । २ अधिरूढ़, चढ़ा हुआ। ३ भयभीत (दे २११२७) । उच्चर-विविध प्रकार-'उच्चूरपउरलंभे' (व्यभा ४१२ टी प ८२)। उच्चेल्लर-१ हल आदि से बिना जोती हुई भूमी। २ साथल के रोम
(दे १११३६) । उच्चेव-प्रकट (दे ११९७) । उच्चोल-१ विश्रान्त । २ नीवी, स्त्री के अधोवस्त्र के दोनों छोरों पर दी
जाने वाली गांठ (दे १११३१)। ३ चुल्लू, चुलुक-'पाणिए उच्चोल
एहिं मारिज्जइ' (आवहाटी २ पृ १२५) । उच्चोली-गठरी-परिकरेण बंधह चुण्णस्स उच्चोलीओ'
__ (सूचू १ पृ १६३ टि)। उच्छ-आंतों का आवरण (दे ११८५) । उच्छंगिय–पुरस्कृत (दे १११०७) । उच्छंट-जल्दी-जल्दी चोरी करना (दे १।१०१) । उच्छंटअ-शीघ्र चोरी करना (पा ६७६) । उच्छंद-छीला हुआ, तोड़ा हुआ (आचू पृ ३४४) । उच्छंदण-मर्दन, अभ्यंगन-'मक्खणऽब्भंगण उच्छंदण उव्वट्टण' (अंवि पृ १९३)। उच्छट्ट-चोर, डाकू (दे ११०१)। उच्छडिय-चुराई हुई वस्तु (दे ११११२) । उच्छय-व्याप्त-'देवेहि य देवीहि य समंतओ उच्छयं गयणं'
(आवहाटी १ पृ १२३)। उच्छल्लिङ-एक ओर ले जाकर-'उच्छल्लिङ ति एकपार्वे नयित्वा'
(निचू १ पृ.६८)। उच्छल्लित्तु- एक ओर ले जाकर (निचू १ पृ ६८) । उच्छल्लिय-१ एक ओर ले जाकर (निभा २८१) २ जिसकी छाल छील
दी गई हो वह (दे १११११) । उच्छविय-शय्या, बिछौना (दे १११०३)। उच्छाह-सूत का तंतु (दे श६२) । उच्छिदण-१ ब्याज पर लेना। २ उधार लेना (पिनि ३१७) । उच्छिपक–चोरों का एक प्रकार (प्र ३३)।
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