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देशी शब्दकोश
एडिज्जमाण-उत्सृज्यमान, उत्सर्जन करता हुआ (ज्ञा १।१६।७५) । एडेत्ता-उत्सृज्य, उत्सर्जन करके (ज्ञा १११६।७३)। एणुवासिअ-मेंढक (दे १।१४७) । एताहे-अब (दे १११४४ वृ)। एत्तोपं-यहां से लेकर, यहां से (दे १११४४) । एद्दह-इतना (दे १११४४ वृ)। एमाण-प्रवेश करता हुआ (दे १११४४)। 'एमिणिआ-वह स्त्री, जिसके शरीर को, किसी देश के रिवाज के अनुसार,
सूत के धागे से नाप कर उस धागे को फेंक दिया जाता है
(दे १११४५)। एयावंति-इतना (आ ११७)। एरंडइअ-पागल-'एरंडइए साणे त्ति हडक्कायितः श्वा' (बूटी पृ ८२६) । एरंडइत--पागल (दश्रुचू प ५१) । एग-नागरमोथा (बृभा १२२३)। एराणी-१ इन्द्राणी । २ इंद्राणीव्रत का पालन करने वाली स्त्री
(दे १११४७) । एरावण-गुच्छ-वनस्पति-विशेष (प्रज्ञा ११३७।४)। एल--कुशल (दे १।१४४) । एलवालुंकी-एक प्रकार की ककड़ी की बेल (प्रज्ञा ११४०।१)। एलविल- १ धनाढ्य । २ वृषभ, बैल (दे १११४८) । एलालय-आलू की एक जाति, कंद-विशेष (अनु ३३५१)। एलालुग-ककड़ी-'एलालुग माउलिंग फलमादी' (बृभा २४४२) । एलावालुंकी-वनस्पति-विशेष (भ २२।६) । एवड-इतना-'एवड्डे आलावगं सक्केहिति गेण्हिर'
(आवहाटी १ पृ६६)। एवण्हं—वाक्यालंकार-'एवण्हमिति वाक्यालङ्कारे (बृटी पृ १४६१) । एव्वेल-अधुना, अभी-'एव्वेलं पहामोत्ति नमोक्कारं घोसंतस्सेव'
(आवहाटी १ पृ ३०३)।
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