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देशी शब्दकोश
अभिण्णपुड-- खाली पुडिया जिसको बच्चे लोगों को ललचाने के लिए रास्ते
पर रख देते हैं (दे ११४४)। अभिनिपिया-- प्रत्येक का पृथक्-पृथक् चूल्हा (व्य ६।१०)। अभिनिव्वगड-.-१ अनेक और निश्चित परिक्षेप वाला स्थान । २ पृथग्
पृथग् परिक्षेप वाला स्थान (बू ११११ टी पृ ६४६)। ३ वह परिक्षेप जिसमें प्रवेश और निष्क्रमण का एक द्वार
हो पर भीतर अनेक घर हों (व्यभा ८ टी प ४) । अमंगुल--इष्ट (निचू ३ पृ १४२) । अमज्जाइल्ल-- अमर्यादित, अव्यवस्थित (निभा ४०३) । अमणाम- मन के लिए अप्रिय (स्था २ २३३)। अमय--१ चन्द्रमा, चांद (दे १।१५) । २ असुर, दैत्य । अमयणिग्गम-चन्द्रमा (दे १११५)। अमाघाय-अमारि-'अमाघातो रूढिशब्दत्वात् अमारिरित्यर्थ.' (उपाटी पृ ६१)। अमिय—प्राप्त-'अमिया गावीतो, जुज्झं संपलग्गं' (निचू ३ पृ १९७) । अमिल---१ मेष, भेड़ (ओनि ३६८) । २ भांड-विशेष (अंवि पृ ७२) । अमिला-१ भेड़ की ऊन से बना वस्त्र (आचला ५।१४)। २ देश-विशेष
में सूक्ष्म रोओं से निर्मित वस्त्र (निचू २ पृ ३६६) । अमुदग्ग-अतीन्द्रिय मिथ्याज्ञान-विशेष, जीव पुद्गलों से बना हुआ नहीं है
ऐसा ज्ञान (स्था ७।२) । अमुय-अस्मृत, अज्ञात (भ ११४२६) । अमोग्गतिया--सम्मुख जाना, त्वरित गति से जाना—'तस्सागमणवेलाए
सव्वो परियणो पच्चोवणीए णिग्गतो अमोग्गतिया एति'
(निचू ३ पृ ४११)। अमोसली-अप्रमादयुक्त प्रतिलेखना का एक प्रकार (स्था ६।४६) । अम्मका-मां (आवदी प ८०)। अम्मगा-मां (भ ६।१४८) । अम्मणअंचिअ-अनुगमन, पीछे-पीछे जाना (दे ११४६) । अम्मया-माता, अम्बा (ज्ञा १।६।४)। अम्मा --मां (अंत ५१६; दे ११५) । अम्माइआ-अनुगमन करने वाली, पीछे-पीछे जाने वाली (दे ११२२)। अम्मिय-प्राप्त (बृटी पृ ७७६)।
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