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10 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक)
छोटा-सा, बहुत थोड़ी आबादी वाला एक गाँव है।
यह गुलबर्गा से सड़कमार्ग द्वारा लगभग 35 कि. मी. की दूरी पर गुलवर्गा-सेडम मार्ग पर स्थित है। ___मध्य रेलवे की बड़ी लाइन के वाड़ी-सिकन्दराबाद रेलमार्ग पर 'मलखेड रोड' नाम का एक छोटा-सा रेलवे स्टेशन है जहाँ से यह स्थान लगभग छह कि. मी. की दूरी पर है। ऐतिहासिक महत्त्व
यह विडम्बना ही है कि जैन धर्मानुयायी राष्ट्रकूट राजाओं की यह राजधानी अब एक ग्राम मात्र रह गयी है। राष्ट्रकूट राजाओं ने यहाँ 753 ईस्वी से लगभग 200 वर्षों तक राज्य किया था। दक्षिण (Deccan) के इस राज्य ने अपने उत्कर्ष काल में इस प्रदेश के इतिहास में वैसी ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जैसी कि 17वीं शताब्दी में मरहठों ने । इस वंश का सबसे प्रभावशाली राजा अमोघवर्ष (814-878) हुआ है। उसने इस राजधानी का विस्तार करते हुए अनेक महल और उद्यान एवं दर्ग बनवाए थे। भग्न किले अब भी देखे जा सकते हैं। इन दो सौ वर्षों की अवधि में मान्यखेट जैनधर्म का एक प्रमुख केन्द्र था। उस युग की पाषाण और कांस्यमूर्तियाँ आज भी यहाँ देखी जा सकती हैं। क्षेत्र-दर्शन
मलखेड ग्राम में 'नेमिनाथ बसदि' नामक एक जैन मन्दिर है जो कि 9वीं शताब्दी का बताया जाता है। इसके स्तम्भों पर मनलुभाने वाली नक्काशी है और 9वीं से लेकर 11वीं शताब्दी तक की अनेक जिन-प्रतिमाएँ हैं जिनकी ऊँचाई डेढ़ फुट से लेकर पाँच फुट तक है। कछ प्रतिमाओं के आसन खण्डित हैं । जैन तीर्थंकर. चौबीसी. नन्दीश्वर द्वीप, यक्षी आदि की संख्या लगभग । 5 है। इनमें से कुछ प्रमुख की यहाँ चर्चा की जाएगी। इस मन्दिर में कांस्य का एक क्षतिग्रस्त छोटा-सा मन्दिर है। उसके चार स्तरों पर 24 (12 + 6+5+1) तीर्थंकर एवं अन्य आकृतियाँ चारों ओर हैं जिनकी कुल संख्या 96 हो जाती है जो कि सामान्यतः अन्य स्थानों पर नहीं पाई जाती (देखें चित्र क्र. 6)। यह मन्दिर 11वीं-13वीं सदी का और लगभग डेढ़ फुट ऊँचा है। इसी प्रकार नन्दीश्वर द्वीप भी है जिस पर चारों ओर 13 तीर्थंकर पद्मासन में उत्कीर्ण हैं।
उपर्युक्त बसदि में कांस्य की ही एक चतुर्दशिका (14 तीर्थंकर मूर्तियाँ) है। इसके मलनायक बीसवें तीर्थंकर मनिसव्रतनाथ हैं जो कि कायोत्सर्ग मद्रा में हैं। शेष 13 तीर्थंकर पद्मासन में उनके दोनों ओर हैं । तोरण पर कीर्तिमुख है और तीन छत्र हैं। मृदंगवादक भी चित्रित हैं । नीचे की ओर यक्ष-पक्षी हैं। चौदह तीर्थंकरों की संख्या इस प्रकार मानी जा सकती है-भरतक्षेत्र के पाँच, ऐरावतक्षेत्र के पाँच और जम्बूद्वीप के विदेहक्षेत्र के चार, इस प्रकार कल 14 तीर्थकर।
___ अम्बिका की भी यहाँ एक सुन्दर मूर्ति है। यह देवी आम्रवृक्ष के नीचे सुखासन में दिखाई गई है। उसके हाथ में आम और बिजौरा हैं । बाल कन्धों पर लहरा रहे हैं । उसके