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308 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक)
31. हुबली- - अनन्तनाथ बसदि : एक जैन यक्षी, स्थानीय नाम कालाम्बा ( ? ); सोलहवीं शती । 32. धारवाड़—कन्नड़ शोध संस्थान में प्रदर्शित तीर्थंकर मूर्ति का मस्तक ।
33. धारवाड़ - कन्नड़ शोध संस्थान में प्रदर्शित ब्रह्मदेव ।
34. लक्ष्मेश्वर - शंख-जिनालय : सहस्रकूट जिनालय की लघु आकृति; लगभग ग्यारहवीं शती । 35. लक्ष्मेश्वर-शंख जिनालय का पूर्व की ओर से बाह्य दृश्य; लगभग ग्यारहवीं शती । 36. कोटुमचगी – पार्श्वनाथ बसदि, तीर्थंकर पार्श्वनाथ; ग्यारहवीं शती ।
37. नरेगल - नारायण मन्दिर नामक जैन बसदि का बाह्य दृश्य; लगभग दसवीं शती । 38. नवलगुंड - आदिनाथ बसदि : अष्टम तीर्थंकर चन्द्रप्रभ ।
39. कलसापुर - जैन बसदि के खण्डहर : कायोत्सर्ग मुद्रा में तीर्थंकर मूर्ति ।
40. बुदरसिंगी - एक भव्य चौबीसी का परिकर; ग्यारहवीं शती ।
41. डंबल (जि. धारवाड़ ) - पार्श्वनाथ बसदि का बाह्य दृश्य; सत्रहवीं शती ।
42. गुडिगेरी (जि. धारवाड़ ) - महावीर बसदि में एक तीर्थंकर मूर्ति, दसवीं शती ।
43. आरट्वाल (जि. धारवाड़ ) – पार्श्वनाथ बसदि में कायोत्सर्ग मुद्रा में तीर्थंकर मूर्ति; लगभग ग्यारहवीं शती । 44. गुत्तल (जि. धारवाड़ ) - - तीर्थंकर पार्श्वनाथ की कायोत्सर्ग मूर्ति लगभग दसवीं शती । 45. हवेरी (जि. धारवाड़ ) - मुदु - माणिक्य बसदि में पार्श्वनाथ की परिकर सहित आसीन मूर्ति; लगभग दसवीं शती ।
46. अम्मिनबावि (जि. धारवाड़ ) - पार्श्वनाथ बसदि में तीर्थंकर आदिनाथ । अति सुन्दर चौबीसी; लगभग ग्यारहवीं शती ।
47. गेरुसोप्पा (जि. उत्तर कनारा) - चतुर्मुख बसदि में सर्वतोभद्र प्रतिमा ।
48. गेरुसोप्पा (जि. उत्तर कनारा ) - ज्वालामालिनी बसदि में यक्षी ज्वालामालिनी की कांस्य मूर्ति लगभग चौदहवीं शती ।
49. गेरुसोप्पा (जि. उत्तरा कनारा ) - ज्वालामालिनी बसदि में एक भव्य चौबीसी; लगभग तेरहवीं शती ।
50. हाडुबल्ली (जि. उत्तर कनारा) - चौबीसी बसदि में त्रिकाल - चौबीसी की कांस्य मूर्ति; लगभग पन्द्रहवीं शती ।
51. बीलगि (जि. उत्तर कनारा ) - रत्नत्रय बसदि का बाह्य दृश्य । यह बेसर शैली के मन्दिर का उदाहरण है ।
52. गुण्डबल (जि. उत्तर कनारा) - रत्नत्रय बसदि में तीर्थंकर आदिनाथ की अर्धपद्मासन मूर्ति । लगभग ग्यारहवीं शती ।
53. गुण्डबल (जि. उत्तर कनारा) - सूरस्थ बसदि में कायोत्सर्ग आसन में तीर्थंकर पार्श्वनाथ ; 54. मनकी (जि. उत्तर कनारा) - शान्तिनाथ बसदि के समीप स्थित सात फीट ऊँचे स्तम्भ पर रामकथा के दृश्यों का अंकन; लगभग पन्द्रहवीं शती ।
55- हुमचा (जि. शिमोगा ) - पार्श्वनाथ बसदि का सामने का दृश्य । इसके पीछे शैलोत्कीर्ण शिल्प सातवीं शती का है ।