________________
142 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक)
प्रबन्ध हुमचा के भट्टारकजी द्वारा किया जाता है।
___ कुन्दाद्रि का प्राकृतिक सौन्दर्य भी कम नहीं है । यहाँ से सूर्यास्त का दृश्य बड़ा सुन्दर दिखाई देता है।
वरंग
अवस्थिति एवं मार्ग
कर्नाटक के मंगलोर ज़िले (पुराना नाम दक्षिण कन्नड़ ज़िला, South Kanara), में कारकल तालुक के अन्तर्गत यह लगभग दो हजार की आबादी वाला एक गाँव है। यह शिमोगामंगलोर मार्ग पर स्थित है।
इस गाँव का निकटतम रेलवे स्टेशन मंगलोर है।
सड़क-मार्ग द्वारा यह कारकल से 24 कि. मी. की दूरी पर है। नरसिंहराजपुरा या या कुन्द्रादि से बड़ी बस के मार्ग पर स्थित हेब्री से या आगुम्बे घाटी उतरकर छोटी बस द्वारा हेबी नामक स्थान से यह आठ कि. मी. है । हेब्री से बड़ी बसें यहाँ आ सकती हैं हालांकि आगुम्बे घाटी होकर सागर या नरसिंहराजपुरा जानेवाली छोटी बसें भी यहाँ से आती-जाती हैं । यहाँ पहुँचने के लिए बस की अच्छी सुविधा है । यह स्थान तुलुनाडु प्रदेश में आता है।
किसी समय यहाँ हेग्गडे सामन्त शासन करते थे। बोडर-कोटे नामक एक छोटा किला यहाँ की पहाड़ी पर देखा जा सकता है। मंगलोर के उप-न्यायालय (सब कोर्ट) में 1424 ई. का एक लेख कन्नड और संस्कृत भाषा में तीन ताम्रपत्रों पर है। उसके अनुसार वरंगना गाँव को वहाँ की नेमिनाथ बसदि (मन्दिर) के लिए विजयनगर के राजा देवराय ने दान में दिया था। ये ताम्रपत्र एक अंगूठी के द्वारा जुड़े हुए हैं। अँगूठी पर एक मोहर लगी है जिसपर एक जैन मूर्ति है।
वरंग में एक जल-मन्दिर है जिसके कारण इस स्थान को 'कर्नाटक की पावापुरी' कहा जाता है।
यात्रियों की सुविधा के लिए सड़क पर 'श्री वरंग दिगम्बर जैन मन्दिर' कन्नड़ और नागरी में दो स्थानों पर लिखा हुआ है। सड़क से मठ तक जाने के लिए पक्की सड़क भी है और एक पगडण्डी भी। क्षेत्र सड़क से लगा हुआ है। __इस क्षेत्र का इतिहास अभी ज्ञात नहीं है।
क्षेत्र-दर्शन
वरंग में तीन मन्दिर हैं-1. मठ का चन्द्रनाथ मन्दिर, 2. जलमन्दिर (चतुर्मुख बसदि) और 3. नेमिनाथ बसदि।
स्थानीय जैन मठ होम्बुज (हुमचा) जैन मठ के नियन्त्रण में कार्य करता है। वास्तव में,