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228 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक)
महावीर निर्वाण के 60 वर्ष बाद प्रारम्भ हुआ। ये राजे जैन थे। उड़ीसा के खण्डगिरि-उदयगिरि में आज भी मौजूद सम्राट् खारवेल के ई. पू. 150 के शिलालेख में स्पष्ट है कि 'कलिंगजिन' (ऋषभदेव की कलिंग में अत्यन्त मान्य) मूर्ति को नन्दराजा (नन्दिवर्धन) उठा ले गया था जिसे खारवेल वापस लाया था। इन नन्दराजाओं ने 155 वर्ष तक राज्य किया। अन्तिम नन्दराजा धननन्द अत्यन्त लोभी हो गया था और प्रजा उससे असन्तुष्ट थी। उसे हटाकर ईसा से 322 वर्ष पूर्व चन्द्रगुप्त प्रथम मौर्य राजा के रूप में मगध साम्राज्य की गद्दी पर बैठा। - चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा अपने राजवंश की स्थापना की कहानी अत्यन्त रोमांचक है। उसके प्रमुख पात्र हैं-1. चन्द्रगुप्त मौर्य, 2. चाणक्य, 3. आचार्य गोवर्धन तथा 4. आचार्य भद्रबाहु । इनके जीवन-विवरण पर दृष्टि डालने से चन्द्रगिरि (श्रवणबेलगोल) का महत्त्व समझा जा सकता
हैं।
श्रवणबेलगोल की पहाड़ी (चन्द्रगिरि) आज भी जिसकी स्मृति बनाए हुए है वह चन्द्रगुप्त मोरियवंशी क्षत्रियों की राजधानी पिप्पलि-वन (नेपाल की तराई) में जन्मा था। उसका वंश 'मोरिय' कहलाता था जो कि क्षत्रिय था। इस नगर के वासी मोर के पंखों का व्यवसाय करते थे। वे 'मयूर पोषक' कहलाते थे और अपने घरों पर भी रंग-बिरंगे मोर चित्रित करते थे। महावीर के एक गणधर भी मौर्यपुत्र कहलाते थे। स्पष्ट है कि सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य क्षत्रिय था, जैनधर्मानुयायी था और सम्भवतः इसी कारण जैनेतर साहित्य में उसके जीवन का अन्तिम भाग (मुनि होने की घटना) लिखा ही नहीं गया और उस साहित्य में एक हजार वर्ष तक उसकी चर्चा उपेक्षित रही। चाणक्य-चन्द्रगुप्त संयोग
यह सर्वविदित है कि चन्द्रगुप्त मौर्य को मगध-साम्राज्य का सम्राट बनाने में चाणक्य की प्रमुख भूमिका थी।
चाणक्य के जन्म की अनुश्रुति भी रोमांचक है। विद्वानों का मत है कि चाणक्य का जन्म ईसा से 375 वर्ष पूर्व हुआ था। उनके अनेक नाम बताए जाते हैं, जिनमें चाणक्य, कौटिल्य या विष्णुगुप्त और 'द्रामिल' प्रसिद्ध हैं । उनके जीवन की कथा अनेक जैन और जनेतर ग्रन्थों में पाई जाती है । जैन ग्रन्थों में उनके जीवन के अन्तिम भाग का भी वृत्तान्त मिलता है।
__ जैन परम्परा यह सूचित करती है कि चाणक्य का गोत्र कुटल था। इस कारण उनका नाम कौटल्य या कौटिल्य पड़ा।
___ सन् 931 ई. में रचित 'बृहत्कथाकोष' में उन्हें पाटलिपुत्र में उत्पन्न एवं पिता कपिल एवं माता देविला ब्राह्मणी का पुत्र बताया गया है। कुछ लोग उन्हें तक्षशिला का निवासी बताते हैं।
'आवश्यकनियुक्ति चूणि' नामक एक ग्रन्थ में कहा गया है कि बिहार के गोल्ल जनपद के चणय गाँव में उनका जन्म हुआ था और उनके ब्राह्मण माता-पिता का नाम चणेश्वरी तथा चणक था। इसी कारण वे चाणक्य कहलाए। उनके माता-पिता जैन धर्म के भक्त बताए गए हैं (ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं)। जब चाणक्य का जन्म हुआ तब उनके मुंह में दाँत थे। प्रश्न