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में दस पाठशालाएँ चलाई जा रही हैं।
ठहरने की उत्तम सुविधा - मन्दिर के सामने ही यात्रियों के ठहरने के लिए आधुनिक ढंग की व्यवस्था है । इस धर्मशाला में दो बिस्तरोंवाले सोलह कमरे डनलप गद्दों से सज्जित हैं । उनमें से प्रत्येक के साथ स्नानघर भी है। एक रसोईघर भी अलग से है । चौबीस घण्टे पानी की व्यवस्था के अतिरिक्त एक कुआँ भी है । नीचे तलघर में एक हॉल भी है जिसमें पूरी बस के यात्री ठहर सकते हैं । धर्मशाला के रख-रखाव के व्यय के लिए दान के रूप में कुछ नियत शुल्क लिया जाता है। जैन यात्रियों के लिए बंगलोर में ठहरने की इससे अधिक अच्छी व्यवस्था अन्यत्र नहीं है ।
मन्दिर और स्वाध्याय मण्डल का पता नीचे लिखे अनुसार हैश्री वृषभदेव दिगम्बर जैन मन्दिर,
श्री दिगम्बर जैन स्वाध्याय मण्डल ट्रस्ट,
बंगलोर / 287
14, रंगस्वामी टेम्पल स्ट्रीट (Rangaswamy Temple streei) बलेपेट क्रॉस (Balepet cross) बंगलोर - 560053
श्री महावीर स्वामी दिगम्बर जैन मन्दिर (Temple) चिकपेट
रेलवे स्टेशन से तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर यह मन्दिर यहाँ के प्रमुख बाज़ार में स्थित है। मन्दिर और श्री दिगम्बर जैन संघ का नाम बाहर भी अंग्रेज़ी में लिखा है । यह एक गली में है और टैक्सी भी मुश्किल से जाती है। ए. एम. लेन, चिकपेट के इस मन्दिर के लिए सबसे अच्छा रास्ता अय्यंगार ( Iyengar) रोड होकर है । मन्दिर प्राचीन है । समय-समय पर इसका जीर्णोद्वार भी हुआ है । सबसे पहले एक तीन मंज़िला गोपुर ( प्रवेशद्वार ) है । उसमें ऊपर यक्ष-यक्षी, सिंह आदि की आकृतियाँ द्रविड़ शैली में उत्कीर्ण हैं । मन्दिर के सामने बलिपीठ है और प्रवेशमण्डप है जो कि एक ही ओर से खुला है । सभामण्डप के प्रवेशद्वार के सिरदल पर तीर्थंकर मूर्ति के दोनों ओर दो हाथी अंकित हैं। तीर्थंकर छत्रत्रयी से युक्त हैं । सबसे ऊपर पाँच तीर्थंकर पद्मासन में प्रदर्शित हैं । नीचे की ओर द्वारपाल बने हैं। गर्भगृह से पहले के मण्डप में द्वार के दोनों ओर धरणेन्द्र और पद्मावती प्रतिष्ठित हैं। गर्भगृह में तीन छोटी वेदियाँ हैं । बीच की वेद में महावीर स्वामी की धातु प्रतिमा है। पार्श्वनाथ की काले पाषाण की लगभग ढाई फुट ऊँची मूर्ति मकर-तोरण से अलंकृत है । इनके अतिरिक्त यक्षी ज्वालामालिनी और पद्मावती देवी की मूर्तियाँ भी हैं । मन्दिर की ऊपर की मंज़िल में भी एक हॉल में तीर्थंकर मूर्तियाँ हैं । तीसरी मंजिल पर बाहुबली की लगभग चार फुट ऊँची संगमरमर की प्रतिमा है जिस पर सर्पों की बाँबी और लताओं का आकर्षक अंकन है ।
उपर्युक्त मन्दिर के पीछे एक कुलिका में ब्रह्मदेव की प्रतिमा है । मन्दिर के पीछे के भाग में ऊपर भी महावीर स्वामी की संगमरमर की भव्य प्रतिमा विराजमान है ।
मन्दिर के दोनों ओर कमरे बने हैं जो कि मुनियों या भट्टारक आदि त्यागियों के ठहरने के लिए हैं । मन्दिर का शिखर द्रविड़ शैली का है। उसके चारों ओर पद्मासन तीर्थंकर और सिंहों आदि का अंकन है । उस पर तीन कलश भी हैं ।