Book Title: Bharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Author(s): Rajmal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 411
________________ जिले के अन्य जैन स्थल / 299 जाएगा। कर्नाटक के तुमकुर, कोलार, मडिकेरी (कुर्गं) और चित्रदुर्ग जिलों के जैन स्मारक यात्रा क्रम में शामिल नहीं है फिर भी उनकी संक्षिप्त जानकारी दी जा रही है । मैसूर से हम केरल की यात्रा प्रारम्भ करेंगे । चाहें तो ऊटी होकर केरल की सीमा में प्रवेश कर सकते हैं या बस द्वारा सीधे ही केरल में कॉफ़ी की पहाड़ी पर स्थित 'रत्नत्रय विलास' के अद्भुतदर्पणमन्दिर (Mirror Temple) को देखने के लिए सीधे प्रस्थान कर सकते हैं । मैसूर जिले के अन्य जैन स्थल मैसूर जिले में जैनधर्म का व्यापक प्रसार था, यह बात उपर्युक्त स्मारकों के अतिरिक्त निम्नलिखित स्थानों के परिचय से भी प्रमाणित होती है । बतपुर (Bastipur ) इस स्थान पर केतगौड, शम्भुगोड आदि 'कूडिगन हल्ली' नामक गाँव के निवासी समस्त गौड समाज ने यहाँ 1393 ई. में एक पार्श्वनाथ मन्दिर का निर्माण कराया था और उसे सकलचन्द्रदेव को सौंपा था । बेल्लूर (Bellur ) बेल्लूर में एक विमलनाथ बसदि है । उसमें विराजमान लगभग ढाई फुट ऊँची विमलनाथ की प्रतिमा पर लेख से ज्ञात होता है कि यह मूर्ति तेरहवीं सदी से पहले की है । चामराजनगर (Chamarajanagar) चामराजनगर मैसूर से 61 कि. मी. की दूरी पर स्थित तथा मैसूर चामराजनगर बड़ी रेलवे लाइन पर यह स्थान है । होय्सलनरेश विष्णुवर्धन के महादण्डनायक ( सेनापति ) पुणिश - मय्याने कोंगु, नीलगिरि और मलेयाळ प्रदेशों को जीतकर होय्सल राज्य में मिला दिया था । उसी विजय की स्मृति में उपर्युक्त सेनापति ने 1117 ई. में एण्णेनाड अरकोतार ( चामराजनगर का पुराना नाम) में एक त्रिकूट मन्दिर का निर्माण कराया था और उसमें पार्श्वनाथ की प्रतिमा प्रतिष्ठित की थी। इस सेनापति ने गंगवाडी के अनेक जैन मन्दिरों का जीर्णोद्धार भी कराया था । वर्तमान चामराजनगर में एक जैन मन्दिर और भी है। यहाँ लगभग चालीस जैन परिवार हैं। होस होल्लू (Hos Hollu) हो होल्लु में होय्सल शासकों के समय का एक प्राचीन मन्दिर है किन्तु अब वह ध्वस्त अवस्था में है । उसके नवरंग में यक्ष धरणेन्द्र और यक्षी पद्मावती की मूर्तियाँ हैं ।

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