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302 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक)
तुमकूर जिले के जैन स्थल
बंगलोर से उत्तर की ओर स्थित इस जिले में भी जैनधर्म का व्यापक प्रसार रहा है। कुछ स्थानों का परिचय प्रस्तुत है।
गुब्बि (Gubbi)
यह स्थान तुमकूरु से लगभग 20 कि. मी. की दूरी पर है। यहाँ एक सुन्दर जिनालय है। उसके सामने का मानस्तम्भ दर्शनीय है। इस स्थान पर ब्रह्मदेव की एक प्रतिमा अतिशयपूर्ण व प्राचीन है । सन् 1970 ई. में यहाँ बाहुबली की अमृतशिला की एक भव्य मूर्ति प्रतिष्ठापित की गई है।
हट्टण (Hattan)
तिपटूरु तालुक के इस स्थान को बसदि की चन्द्र शाला में यहाँ एक पाषाण पर 1078 ई. का एक शिलालेख है। उसके अनुसार होय्सलनरेश वीर बल्लाल (यह शासनकाल विनयादित्य का है) के शासन काल में उसके मन्त्रो मरियाने दण्डनायक ने 'नरवर जिनालय' का निर्माण कराया था और कुछ अन्य सेट्टियों ने भी दान दिया था। इस बसदि का हाल ही में जोर्णोद्धार होकर पंचकल्याणक हुआ है।
कुच्चंगि
यह तुमकूर जिले में स्थित है। यहाँ 1180 ई. में बम्मिशेट्टि के पुत्र केसरि सेट्टि ने पार्श्वनाथ मन्दिर का निर्माण कराया था। सन् 1970 ई. में तुमकूरु के जैन बन्धुओं ने इसका जीर्णोद्धार कराया है। मधुगिरि (Madhugiri)
यह भी तुमकूर जिले में है। यहाँ तीर्थंकर शान्तिनाथ का एक मन्दिर है। इस स्थान के शिलालेख से ज्ञात होता है कि सन् 1531 ई. में गोविदानमय्या की पत्नी जयम्मा ने मल्लिनाथ तीर्थंकर की पूजा के लिए भूमिदान किया था। मन्दरगिरि (Mandargiri)
___ तुमकूर से यह लगभग 12 कि. मी. की दूरी पर है। तुमकूर-बेंगलूरु रेल-मार्ग पर हिरेहल्ली रेलवे स्टेशन से लगभग 2 कि. मी. है। इस स्थान को 'बसदि बेट्ट' (जैन मन्दिरों की पहाड़ी) भी कहा जाता है। इसकी प्रसिद्धि एक क्षेत्र के रूप में भी है। पहाड़ी पर सुपार्श्वनाथ, चन्द्रप्रभ और पार्श्वनाथ के चार मन्दिर हैं । इनमें चन्द्रनाथ का मन्दिर प्राचीन एवं कलामय है। मन्दिरों के चारों ओर प्राकार है । इस परकोटे के पीछे एक गहरा तालाब है जिससे तुमकूरु को पानी भेजा जाता है। पर्वत पर जाने के लिए सीढ़ियाँ हैं। उस पर जाते समय सबसे पहले