Book Title: Bharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Author(s): Rajmal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 412
________________ 300 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थं (कर्नाटक) नसोगे (Hansoge ) मैसूर जिले के कृष्णराजनगर तालुक में सालिग्राम से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर यह ऐतिहासिक महत्त्व का प्राचीन जैन केन्द्र है। इसकी गिनती जैनतीर्थों में होती थी । बताया जाता है कि यहाँ 64 जिनमन्दिर थे । ये मन्दिर अब खण्डहर हैं । यह स्थान ग्यारहवीं शताब्दी से पहले ही एक प्रसिद्ध जैन केन्द्र के रूप में विख्यात हो चुका था । सन् 1060 ई. के लगभग यहाँ चंगाल्व नरेश राजेन्द्र चोल नन्नि चंगाल्व ने आदिनाथ बसदि का निर्माण कराया था। इन शासकों ने ग्यारहवीं और बारहवीं शताब्दी में इस प्रदेश पर शासन किया था । आगे चलकर इसी स्थान पर होय्सलों और चोलों में युद्ध हुआ था । यहाँ के जैन गुरुओं का कर्नाटक में किसी समय बड़ा प्रभाव था । इनकी एक शाखा हनसोगेबलि नाम से प्रसिद्ध थी । इस स्थान के मुनि ललितकीर्ति के उपदेश से 1432 ई. में कार कल नरेश पाण्ड्यराय ने गोमटेश्वर की 41 फुट 5 इंच ऊँची प्रतिमा कारकल में प्रतिष्ठित कराई थी जो आज भी वंदित - पूजित है । 1 कुछ शिलालेखों में यहाँ का कुछ विचित्र - सा इतिहास मिलता है । उनके अनुसार यहाँ की सदियों के मूल प्रतिष्ठापक मूलसंघ, देशीगण, होत्तगेगच्छ के रामास्वामी थे, जो कि दशरथ के पुत्र, लक्ष्मण के भाई (राम), सीता के पति थे, जो कि इक्ष्वाकु कुल में उत्पन्न हुए थे । अर्थात् यहाँ श्री रामचन्द्रजी ने मन्दिर बनवाए थे। हो सकता है कि लेख लिखाने में उपमालंकार का प्रयोग किया गया हो या इसी तरह का कोई आशय रहा हो। इस समय यहाँ 'त्रिकूट' नामक मन्दिर है जो कि जीर्णावस्था में है । उसमें आदिनाथ, शान्तिनाथ एवं नेमिनाथ की मनोज्ञ मूर्तियाँ हैं । किन्तु अब हनसोगे में एक भी जैनघर नहीं है । सालिग्राम के श्रावकों ने इस मन्दिर के जीर्णोद्धार का प्रयत्न किया था । हनसोगे के आस-पास के गाँवों में भी प्राचीन जैन मन्दिर हैं - (1) आनेवाळु में ब्रह्मदेव और पद्मावती मन्दिर (सन् 1430 ई.), ( 2 ) रावन्दूरु में सुमतिनाथ चैत्यालय का जीर्णोद्धार (1384 ई. में), ( 3 ) होन्नेनहल्लि में गंधकुटी का निर्माण ( 1303 ई. में) और (4) कल्ल हल्ली में आदिनाथ मूर्ति की प्रतिष्ठापना तथा ( 5 ) दसवीं शताब्दी में भुवनहल्ली में जिनमूर्ति की प्रतिष्ठापना । एचिगन हल्ली (Achigan Halli) मैसूर से लगभग 30 कि. मी. की दूरी पर यह स्थान है । यहाँ गाँव के निकट कपिला नदी बहती है । उसके ऊपर अत्यन्त सुन्दर नेमिनाथ मन्दिर है । वहाँ ब्रह्मदेव की अतिशयपूर्ण मूर्ति है । अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए अनेक भक्त यहाँ मनौतियाँ मनाते हैं । यहाँ तेरहवीं सदी में निर्मित मुनि मेघचन्द्रदेव की एक समाधि भी है । 1 मयूर (Maleyuru) चामराजनगर तालुक का यह स्थान किसी समय जैनधर्म का एक सुदृढ़ गढ़ (मठ) था । यहाँ की कनकगिरि पर अनेक जैन बसदियाँ थीं, यह बात यहाँ के 14वीं शताब्दी से लेकर 19वीं सदी तक के लेखों से विदित होती है । सन् 1181 ई. में यहाँ की पार्श्वनाथ बसदि के लिए

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