Book Title: Bharat ke Digambar Jain Tirth Part 5
Author(s): Rajmal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 385
________________ ... श्रवणबेलगोल | 277 सभाभवन और एक रसोईघर है। पद्मश्री सुमतिबाई शाह आश्रम-यह आर्यिकाओं तथा महिला यात्रियों के लिए है। इसमें दो कमरे हैं। श्री कानजी स्वामी यात्रिकाश्रम–यात्रियों के ठहरने के लिए इसमें चार कमरे हैं । स्नानघर भी है। मुनि विद्यानन्द निलय–सन् 1975 ई. में निर्मित यह निलय या धर्मशाला यात्रियों के लिए बहुत सुविधाजनक है । अधिकांश यात्री यहीं ठहरते हैं। पर्यटक बसों के यात्रियों के लिए बड़े कमरे भी हैं । बस स्टैण्ड से लगभग सटी हुई इस धर्मशाला में 45 कमरों के साथ ही स्नानघर और रसोईघर की भी सुविधा है। दो-मंज़िले इस भवन में टेलीफोन की भी सुविधा है। इस धर्मशाला से गोमटेश्वर महामूर्ति का ऊपरी भाग सदा ही दिखाई देता है। __ श्रेयांस प्रसाद अतिथि-निवास-यह उपर्युक्त निलय के पास में ही है और आधुनिक सुविधाओं से सम्पन्न है। इसका उद्घाटन अप्रैल 1975 ई. में हुआ था। यह श्रवणबेलगोल का का पहला अतिथि निवास है। दो-मंज़िले इस निवास में सात कमरे, रसोईघर और एक वार्ताकक्ष हैं। भक्ति अतिथिगृह-श्रेयांसप्रसाद अतिथि-निवास के पास ही, सन् 1980 ई. में उद्घाटित यह अतिथिगृह सेठ बालचन्द हीराचन्द चेरिटेबिल ट्रस्ट की ओर से बनवाया गया है। इसमें तीन कमरे, रसोईघर तथा भोजनकक्ष हैं। ___मध्यप्रदेश भवन-सन् 1981 ई. में जब जन-मंगल महाकलश ने इन्दौर से दक्षिण की ओर प्रस्थान किया था, तब मध्यप्रदेश सरकार के उस समय के मुख्यमन्त्री श्री अर्जुनसिंह ने सरकार की ओर से इस भवन के लिए ढाई लाख रुपये के अनुदान की घोषणा की थी। गंगवाल गेस्ट हाउस-यह भो आधुनिक अतिथिगृह है और उपर्युक्त अतिथिगृह समूह में स्थित है । इसमें चार कमरे, रसोईघर तथा भोजन-कक्ष हैं। पी. एस. जैन गेस्ट हाउस-इसी नाम के ट्रस्ट द्वारा निर्मित इस भवन का उद्घाटन 1981 ई. में किया गया था। इसमें चार कमरे, रसोईघर और भोजन-कक्ष है। शान्तिप्रसाद कला मन्दिर-जैन साहित्य, कला एवं धर्म के अनन्य पोषक स्व. साहू शान्ति प्रसादजी की स्मृति में इसके निर्माण का उद्देश्य भित्तिचित्रों तथा अन्य अनुकृतियों के माध्यम से जैन संस्कृति के उन्नायक महापुरुषों के जीवन की झाँकी प्रस्तुत करना है। आयुर्वेदिक चिकित्सालय-आसाम के श्री गणपतराय सरावगी के दान से इस चिकित्सालय का निर्माण किया गया है। - ___गुरुकुल भवन-प्रसिद्ध उद्योगपति सेठ लालचन्द हीराचन्द परिवार ने दो लाख रुपये का दान इसके निर्माण के लिए दिया है। कुन्दकुन्द भवन-इसका उद्घाटन कर्नाटक के तत्कालीन राज्यपाल श्री गोविन्द नारायण ने किया था। सिद्धोमल जैन अतिथिगृह-इसमें तीन कमरे और रसोईघर हैं। इसका निर्माण दिल्ली के श्री ललित कुमार जैन ने कराया है।

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