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284 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक)
और पद्मावती का अंकन है। ___ जैन धर्म, एक जैन तीर्थ और होय्सलवंश की राजनीति–इन तीनों कारणों से कर्नाटक के इतिहास में अंगडि का बहुत अधिक महत्त्व है।
मण्ड्य जिले में जैनधर्म हासन और बंगलोर जिलों के बीच में स्थित, कर्नाटक के मण्ड्य जिले में भी जैनधर्म का प्रचार था और वहाँ अनेक जैन मन्दिर थे। कुछ का संक्षिप्त परिचय यहाँ दिया जा रहा है। इस जिले में यात्रा या पर्यटन के लिए कोई स्थल इस पुस्तक में नहीं बताया गया है। यात्री को श्रवणबेलगोल से सीधे बंगलोर जाने की अनुशंसा पहले ही की जा चुकी है। अबलवाडि
यह स्थान मण्ड्य तालुक के 'कोप्प होब्ब डि' नामक गाँव के पास है ! होय्सलनरेश विष्णुवर्धन के शासनकाल में 1131 ई. में मलसंघ देशीयगण पुस्तकगच्छ के नयकीर्तिदेव और भानुकीर्तिदेव के शिष्य हेग्गडे मल्लिनाथ नाम के श्रावक ने यहाँ एक विशाल जिनमन्दिर का निर्माण कराके भूमिदान किया था। बेल्लूरु
___ उपर्युक्त ज़िले के नागमण्डल तालुक में यह स्थान है। सन् 1680 ई. में दिल्ली, कोल्हापुर, जिनकांची, पेनुगोण्डे के सिंहासनाधीश्वर श्री लक्ष्मीसेन भट्टारक की प्रेरणा से मैसूरनरेश श्री देवराज ओडेयर ने मन्दिर-निर्माण के लिए भूमि दान की थी एवं भट्टारकजी के शिष्य हुलिकल्लु पूदमण्णशेट्टि के पौत्र, दोड्डादण्ण शेट्टि के सुपुत्र, सक्करे शेट्टि ने अपने अभ्युदय के लिए यहाँ श्री 'विमलनाथ चैत्यालय' का निर्माण कराया था। भोगादि (भोगवदि)
__यह स्थान भी मण्ड्य जिले में है। होय्सलनृप बल्लालदेव के महाप्रधान हेग्गडे बलय्या ने सन् 1173 ई. में यहाँ 'पार्श्वनाथ जिनालय' के लिए भूमि दान की थी। इस मन्दिर के प्रमुख अधिकारी अकलंकदेव परम्परा के श्री पद्मस्वामी थे। दडग ___यह स्थान भी उपर्युक्त ज़िले में ही अवस्थित है। यह स्थान पहिले 'दडिगन केरे' कहलाता था । यहाँ एक पंचजिनालय था। उसमें 'बाहुबलिकूट' नामक जिनालय का निर्माण होय्सलनरेश विष्णुवर्धन के दण्डनायक (सेनापति) मरियाने और भरतमय्या ने कराया था तथा भूमि आदि अनेक प्रकार का दान देकर अपने गुरु मेघचन्द्र को सौंपा था । इन बन्धुओं ने ही हलेबिड के शान्तीश्वर मन्दिर का निर्माण कराया था।