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178 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक)
अंकन है। इस प्रकार की प्रातिहार्यों सहित मूर्तियाँ बहुत ही कम देखने को मिलती हैं । स्तम्भों पर भी उत्तम नक्काशी है।
उपर्युक्त मन्दिर की दूसरी मंजिल पर 'वर्धमान स्वामी बसदि' है। उसमें लगभग तीन फुट ऊँची महावीर स्वामी की कांस्य-प्रतिमा विराजमान है। उसकी प्रभावली भी सुन्दर है। तीसरी मंजिल में चन्द्रप्रभ की पाषाण-मूर्ति है।
___इस प्रकार शान्तिनाथ मन्दिर और वर्धमान मन्दिर एक ही भवन में हैं । मन्दिर के प्रांगण में दो शिलालेख हैं (देखें चित्र क्र. 78)। इस मन्दिर के सामने एक ऊँचा मानस्तम्भ (देखें चित्र क्र. 79) भी है जो बहुत दूर से दिखाई देता है। उसमें चारों ओर कुल मिलाकर चौबीस लघु तीर्थंकर मूर्तियाँ उत्कीर्ण की गई हैं जिनके कारण इस मानस्तम्भ की शोभा और भी अधिक बढ़ गई है।
ऋषभदेव बसदि-शान्तिनाथ स्वामी मन्दिर की बायीं ओर यह एक छोटा मन्दिर है। इसके मूलनायक ऋषभदेव हैं। पाषाण-निर्मित उनकी लगभग पाँच फुट ऊँची पद्मासन मूर्ति है । मन्दिर का इतिहास ज्ञात नहीं है, किन्तु मूर्ति प्राचीन लगती है।
चौबीस तीर्थंकर बसदि-यह मन्दिर शान्तिनाथ स्वामी मन्दिर के दाहिनी ओर है। यहाँ एक शिलालेख है। उसके अनुसार, रानी मधुरिका ने इस मन्दिर का निर्माण 1621 ई. में कराया था। शिलालेख अब भी आसानी से पढ़ा जा सकता है। इसमें चौबीस तीर्थंकरों की लगभग तीन फुट ऊँची पाषाण-प्रतिमाएँ हैं । सिंह युक्त आसन पर मूर्तियाँ विराजमान होने के कारण यह मन्दिर 'हरिपीठ' भी कहलाता है। पूरा मन्दिर पाषाण-निर्मित है। उसके द्वारों की चौकी आदि पर बेल-बूटों की कलात्मक एवं सूक्ष्म कारीगरी की तुलना हलेबिड और बेलूर की कारीगरी से भी की जाती है। कम-से-कम दक्षिण कन्नड़ जिले में यह अंकन श्रेष्ठ माना जाता है।
इस मन्दिर में पद्मावती और सरस्वती की प्रतिमाएँ भी हैं। इस कारण इसे अम्मनवर (अम्मनवर=माँ) मन्दिर भी कहते हैं।
वेणूर के कुछ मन्दिरों के लिए सरकार से बहुत ही कम राशि पूजा-प्रक्षाल आदि के लिए मिलती है। इस राशि को तसदीक कहा जाता है।
वेणूर तीर्थक्षेत्र समिति के वर्तमान अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र हेगडे, धर्मस्थल, और श्री कृष्णराज अजिल (राजवंश के) और मन्त्री डॉ. इन्द्र, वेणूर हैं । क्षेत्र का पता निम्न प्रकार है
श्री दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र समिति (रजि.) गाँव और पो. ऑ.-वेणूर (Venoor), पिनकोड-574242 ज़िला-मंगलोर (Mangalore), कर्नाटक
टेलिफ़ोन नम्बर 31, वेणूर ऊपर यह कहा जा चुका है कि यात्री को ठहरने की सुविधा की ष्टि से मूडबिद्री उपयुक्त है । या फिर ठहरने की उत्तम व्यवस्था ध्यान में हो तो धर्मस्थल में ठहरकर यहाँ के दर्शन करने चाहिए। धर्मस्थल यहाँ से 32 कि. मी. है। वेणूर से गुरुवायनकेरे 15 कि. मी. और वहाँ से धर्मस्थल 17 कि. मी. है । गुरुवायनकेरे से धर्मस्थल के लिए दिन भर बसें मिलती हैं।